简体中文
繁體中文
English
Pусский
日本語
ภาษาไทย
Tiếng Việt
Bahasa Indonesia
Español
हिन्दी
Filippiiniläinen
Français
Deutsch
Português
Türkçe
한국어
العربية
एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesलोकसभा चुनाव में आखिरी चरण का मतदान ख़त्म होते ही भारतीय न्यूज़ चैनलों ने एग
इमेज कॉपीरइटGetty Images
लोकसभा चुनाव में आखिरी चरण का मतदान ख़त्म होते ही भारतीय न्यूज़ चैनलों ने एग्ज़िट पोल जारी कर दिए हैं.
अगर ये एक्ज़िट पोल नतीजों में बदला तो सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए यानी राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन फिर से सत्ता में वापसी कर सकती है.
इन एक्ज़िट पोल के मुताबिक़ एनडीए 300 सीटों का आंकड़ा छू सकती है. भारत में सरकार बनाने के लिए 273 सीटों का बहुमत हासिल करना अनिवार्य है.
एग्ज़िट पोल के रूझानों को एक बार अलग करके पहले ये देखना होगा कि बीजेपी दावा क्या कर रही थी. भाजपा कह रही भी कि हमारी अकेले 300 से ज़्यादा सीटें आएंगी. बीजेपी ने कहा था कि यूपी में उसे 74 से ज़्यादा सीटें मिलेंगी, साल 2014 में यूपी में बीजेपी गठबंधन को 73 सीटें मिली थीं. मेरे हिसाब सेअब तक ऐसा कोई एग्ज़िट पोल सामने नहीं आया है जो बीजेपी को यूपी में 74 सीटें दे रहा हो और केंद्र में 300 से ज़्यादा सीटें दे रहा हो.
एग्ज़िट पोल में बीजेपी को ज्यादा सीटें दी जा रही हैं, लेकिन देखना होगा कि इस बार अन्य की स्थिति काफ़ी मज़बूत है. इसकी बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि बीजेपी का साथ उसके कई साथियों ने छोड़ा है. अब एग्ज़िट पोल में एनडीए सरकार बनाती नज़र आ रही है, लेकिन अब बड़ी चुनौती ये होगी कि यूपीए पर क्षेत्रीय पार्टियां भारी ना पड़ जाएं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस जोड़ तोड़ में जुटेंगी कि कैसे इन गै़र एनडीए और गै़र यूपीए पार्टियों को खुद से जोड़ा जाए.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
राहुल गांधी का ये दावा कि नरेंद्र मोदी सत्ता में वापस नहीं आएंगे मुझे लगता है गलत साबित होगा. अभी तक के एग्ज़िट पो में बीजेपी मज़बूत लग रही है. हां कुछ एग्ज़िट पोल के आंकड़े लें तो ये संभव है कि कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियां नरेंद्र मोदी की राहें मुश्किल कर सकती है.
किसके लिए हाथ बढ़ाएगी बीजेपी
अगर एनडीए को पूरी सीटें नहीं आती है तो टीआरएस और जगन मोहन रेड्डी की ओर हाथ बढ़ाएं कि आप हमारे साथ आइए, हम आपकी इज़्ज़त करते हैं. आप देखेंगे कि चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रधानमंत्री की मौजूदगी में जो प्रेस कॉन्फ़ेंस की गई थी उसमें अमित शाह ने कहा था कि हम उन पार्टियों का स्वागत करते हैं तो हमारे वैचारिक सोच को देखते हुए जो एनडीए का हिस्सा बनना चाहेंगी. अब लगता है बीजेपी सभी दरवाज़ें औऱ खिड़कियां खोलेगी.
बीजेपी में पार्टियों के कैसे यूपीए से दूर करके एनडीए में शामिल करना है इसकी रणनीति शुरू हो गई होगी.
कोई भी एग़्जिट पोल कांग्रेस को अपने दम पर 100 सीटों की जीत नहीं दिखा रहे हैं, हालांकि 2014 में 44 सीटों पर सिमट चुकी कांग्रेस अब उससे बेहतर हालात में तो हैं. इन आंकड़ों को देखें तो ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस के किसी खेमे से ये आवाज़ आएगी की राहुल गांधी का नेतृत्व बुरा था. हां ये ज़रूर देखना होगा कि प्रियंका गांधी से जितनी उम्मीदें लोगों को थीं ऐसा लगता है कि वो मुखर हो कर सामने नहीं आ सकी और उम्मीद पूरी नहीं हो सकी.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
क्या फ़ेल होगा प्रियंका गांधी का दांव
पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी प्रियंका दी गई थी लेकिन यहां कांग्रेस की स्थिति जस की तस एग्ज़िट पोल में नज़र आ रही है. इसके कई बड़े कारण हैं. पहला ये कि कांग्रेस की न्याय योजना को लेकर ज़मीन पर लोग आश्वस्त नहीं थे और पूछ रहे थे कि क्या ऐसा होगा. दूसरा बड़ा कारण ये है कि कई जगहों पर कांग्रेस का संगठन एकमद खत्म सा हो चुका है.
ये पढ़ें-Exit Polls के फ़ाइनल नतीजे: मोदी आगे या राहुल
Exit Polls कैसे किए जाते हैं और कितने सही
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अकेले लड़ना एक सही फ़ैसला था. अगर आप बार-बार सपा, बसपा के पिछलग्गू बने रहेंगे और उनके सामने हर बार झुकेंगे तो ये कांग्रेस के काडर के लिए अच्छा नहीं होता. एक और अहम बात की 44 से अगर कांग्रेस एग्ज़िट पोल में 80 तक पहुंची है तो ये उनके लिए अच्छी खबर है, लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी ठोकने वाली कांग्रेस को अभी बहुत मेहनत करनी होगी.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
ये कहना कि कांग्रेस ने गठबंधन के लिए नरम रवैया नहीं अपना कर गलती की ये कांग्रेस के लिए जात्तीय है. कांग्रेस एक सही मायने में नेशनल पार्टी है. उसे लोग कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जानते हैं और उसे हक है खुद को नेशनल पार्टी के तौर पर बर्ताव करने का.
बंगाल में बीजेपी और ममता की लड़ाई से किसे फ़ायदा
अब बात पश्चिम बंगाल की, एग्ज़िट पोल में बंगाल में बीजेपी दहाई अंको में सीटें हासिल करती नज़र आ रही है. बीजेपी बंगाल में जिस तरह अपनी मेहनत झोंक रही थी से देखकर तृणमूल के कार्यकर्ता भी आशंकित थे, उन्हें लग रहा था ऐसा हो गया तो क्या होगा. बीजेपी ने कहा था कि 10 से 15 लोग बीजेपी के संपर्क में हैं अब देखना होगा कि अब कितने लोग किस पार्टी में जाएंगे. ये देखना होगा की बंगाल में विधानसभा चुनाव भी करीब हैं तो ऐसे में ऐसी गतिविधियां हो सकती हैं. लेकिन टीएमसी भी चुप नहीं बैठेगी. आने वाले दिनों में बीजेपी और टीएमसी के बीच की खटास और भी गहराएगी.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
तीसरे मोर्चे का चेहरा कौन होगा ये नतीजों के बाद ही पता चलेगा. लेकिन अगर कांग्रेस के पास इतनी सीटें आई की वो इन पार्टियों के साथ मिलकर दावा कर सकती है तो दावा ज़रूर होगा. लेकिन ये भी संभव है कि अगर बीजेपी इन पार्टियों को पुचकार कर एनडीए में शामिल करे और भी कई तरह के वादे करे तो दल बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं.
ये समझना होगा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना में की गई रैली में टीआरएस पर हमला नहीं बोला बल्कि वह कांग्रेस पर निशाना साधती रही. ऐसे ही आंध्र में टारगेट वाईएसआर को नहीं बल्कि टीडीपी को किया गया.
केंपेन में ही साफ़ हो गया था कि वह किसका हाथ थामने को तैयार है.
वहीं ओडिशा में बीजेपी ने नवीन पटनायक पर खूब हमले किए और उन्हें भ्रष्ट बताया लेकिन हमने देखा कि जब फणी तूफ़ान आया और प्रधानमंत्री ओडिशा गए तो नवीन पटनायक की खूब तारीफ़े की. उनके हाथ-भाव भी ऐसे थे जो दर्शा रहे थे कि वो नवीन पटनायक को साथ लाने वाले हों.
तमिलनाडु की बात करें तो वहां अगर 6 से 7 सीटें एनडीए को दिखाया जा रहा है तो वो एआईएडीएम के खाते की सीटें हैं. एआईएडीएमके के लिए ये प्रदर्शन करना बेहद ज़रूरी है. यहां यूपीए मज़बूत नज़र आ रहा है.
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।