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एब्स्ट्रैक्ट:सामग्री को स्किप करें बिटकॉइन की क़ीमत में बड़े उछाल की क्या है वजह? क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हर स
बिटकॉइन की क़ीमत में बड़े उछाल की क्या है वजह? क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हर सवाल का जवाब
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद बिटकॉइन की क़ीमत 80 हज़ार डॉलर (क़रीब 67 लाख रुपए) से ऊपर पहुँच गई है.
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने अमेरिका को दुनिया की ‘क्रिप्टो कैपिटल’ बनाने का वादा किया था.
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की क़ीमत इस साल 80 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ गई है.
न सिर्फ़ बिटकॉइन बल्कि डोज़कॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी में भी भारी उछाल दर्ज किया गया है, क्योंकि ट्रंप समर्थक एलन मस्क डोजकॉइन को बढ़ावा देते हैं.
साल 2021 में जो बाइडन प्रशासन ने जेन्सलर को सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमिशन का अध्यक्ष बनाया था, जिन्होंने क्रिप्टो मार्केट की कमर तोड़ने का काम किया था.
स्टोनएक्स फ़ाइनेंशियल के मार्केट एनालिस्ट मैट सिंपसन ने बीबीसी को बताया कि अगर ट्रंप प्रशासन क्रिप्टोकरेंसी को डिरेगुलेट करते हैं बिटकॉइन की क़ीमत एक लाख डॉलर के पार जा सकती है.
आइए जानते हैं क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े सवाल और उनके जवाब
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सवाल- क्रिप्टोकरेंसी क्या है ?
जवाब- बड़े-बड़े कंप्यूटर एक ख़ास फ़ॉर्मूले या कहें कि एल्गोरिथम को हल करते हैं, इसे माइनिंग कहा जाता है तब जाकर क्रिप्टोकरेंसी बनती है.
बिटकॉइन जैसी क़रीब चार हज़ार वर्चुअल करेंसी बाज़ार में उपलब्ध हैं. इन सब वर्चुअल करेंसी को क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं.
नॉर्मल करेंसी को कोई ना कोई संस्था कंट्रोल करती है. जैसे भारत में करेंसी को भारतीय रिज़र्व बैंक कंट्रोल करता है.
रिज़र्व बैंक करेंसी को प्रिंट करता है और उसका हिसाब-किताब रखता है. क्रिप्टोकरेंसी को कोई संस्था कंट्रोल नहीं करती.
सवाल- कैसे काम करती है क्रिप्टोकरेंसी ?
जवाब-क्रिप्टोकरेंसी की हर एक ट्रांज़ैक्शन का डेटा दुनियाभर के अलग-अलग कंप्यूटर में दर्ज होता है.
आसान शब्दों में समझें, तो मान लीजिए कि एक बहुत बड़ा कमरा है, जिसमें सारी दुनिया के लोग बैठे हुए हैं.
ऐसे में जब कोई व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी की लेन-देन करता है तो उसकी जानकारी कमरे में बैठे सभी लोगों को हो जाती है यानी उसका रिकॉर्ड सिर्फ़ एक जगह दर्ज नहीं होता.
दुनियाभर के अलग-अलग कंप्यूटर में रखा जाता है इसलिए यहां किसी, बैंक जैसे तीसरे पक्ष की जरू़रत नहीं पड़ती है.
2008 में बिटकॉइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी बनी थी. 2008 से लेकर अब तक बिटकॉइन को कब किस वॉलेट से ख़रीदा या बेचा गया उसकी सारी जानकारी रहती है.
इसमें परेशानी बस इतनी है कि इसमें ये पता नहीं चलता कि वॉलेट किस व्यक्ति से जुड़ा हुआ है.
सवाल- वर्चुअल एसेट क्या होता है?
जवाब- वर्चुअल का मतलब है जिसे फ़िज़िकली टच ना किया जा सके और एसेट का मतलब है संपत्ति.
मार्केट में बिटकॉइन, इथीरियम, डॉजकॉइन जैसी जितनी भी क्रिप्टोकरेंसी हैं वे सारी वर्चुअल एसेट कहलाती हैं. इसमें नॉन फ़ंजिबल टोकन यानी एनएफ़टी भी शामिल है.
उदाहरण के लिए दुनिया का जो सबसे पहला एसएमएस गया था, उसे एक व्यक्ति ने संभालकर उसका नॉन फ़ंजिबल टोकन बना लिया है.
बहुत सारी पेंटिंग को भी लोगों ने एनएफ़टी की शक्ल में तैयार कर लिया है. इन्हें वर्चुअल दुनिया में बेचा या ख़रीदा जा सकता है.
सवाल- डिजिटल वॉलेट क्या होता है?
जवाब -जैसे एक व्यक्ति अपने पैसे को पर्स में रखता है. ऐसे ही क्रिप्टोकरेंसी रखने के लिए डिजिटल वॉलेट की ज़रूरत पड़ती है.
डिजिटल वॉलेट खोलने के लिए पासवर्ड होता है. जिसके पास भी डिजिटल वॉलेट का पासवर्ड होता है. वो उसे खोलकर क्रिप्टोकरेंसी को ख़रीद या बेच सकता है.
डिजिटल वॉलेट का एक पता होता है जो 40 से 50 अंकों का होता है. इनमें अल्फ़ाबेट और न्यूमेरिक दोनों शामिल होते हैं.
हर वॉलेट का यूनिक पता होता है. ऐसे अरबों-खरबों वॉलेट डिजिटल दुनिया में हैं.
सवाल- ब्लॉकचेन क्या होती है ?
जवाब- क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा जब कोई ट्रांज़ैक्शन होता है तो वो ब्लॉक में दर्ज होता है. ब्लॉक में सीमित ट्रांज़ैक्शन ही दर्ज हो सकते हैं.
एक ब्लॉक भरने के बाद ट्रांज़ैक्शन दूसरे ब्लॉक में दर्ज होता है. ऐसा एक ब्लॉक अगले ब्लॉक से जुड़ता चला जाता है. इसी चेन को ब्लॉकचेन कहते हैं.
सवाल- क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज क्या होती है ?
जवाब- ये ऐसे प्लेटफ़ॉर्म होते हैं, जहां पर व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी को ख़रीद या बेच सकता है. रुपयों को इन एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर क्रिप्टोकरेंसी में बदलवा सकते हैं.
अगर आपको एक क्रिप्टोकरेंसी बेचकर दूसरी क्रिप्टोकरेंसी ख़रीदनी हो तब भी इस तरह के एक्सचेंज काम में आते हैं.
जिस तरह से ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर सामान ख़रीदने के लिए जाते हैं वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी ख़रीदने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज की मदद लेते हैं.
यहां क्रिप्टोकरेंसी ख़रीदने वाले भी होते हैं और बेचने वाले भी.
सवाल - क्या क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगता है?
जवाब-क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर व्यक्ति को भारत में 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है.
इसे साल 2022 में लागू किया गया था. मान लीजिए किसी व्यक्ति ने एक लाख रुपए की क्रिप्टोकरेंसी ख़रीदी है और उसे दो महीने बाद दो लाख रुपए में बेच दिया है.
इसका मतलब है कि उसे एक लाख रुपए का मुनाफ़ा हुआ. अब उस व्यक्ति को इस एक लाख रुपए के मुनाफ़े पर 30 प्रतिशत यानी 30 हज़ार रुपए टैक्स के रूप में भारत सरकार को देने होंगे.
सवाल- टैक्स के अलावा क्रिप्टोकरेंसी पर एक प्रतिशत का टीडीएस क्या है?
जवाब- मान लीजिए एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से एक लाख रुपए की क्रिप्टोकरेंसी ख़रीदता है.
ऐसे में पहला व्यक्ति एक प्रतिशत टीडीएस यानी एक हज़ार रुपए घटाकर उसे 99 हज़ार की पेमेंट करेगा.
इस एक हज़ार रुपए को भारत सरकार के पास टीडीएस के रूप में जमा करना पड़ेगा जिसे बाद में टैक्स के तौर पर क्रेडिट किया जा सकता है.
इससे सरकार को लेन-देन की जानकारी रहेगी.
सवाल- क्या क्रिप्टोकरेंसी गिफ़्ट करने पर भी टैक्स देना होगा?
जवाब- जी हां. कुछ मामलों में क़रीब के रिश्तेदारों को सामान गिफ़्ट करने पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी को गिफ़्ट की कैटेगरी से बाहर रखा गया है.
अगर आप, अपने भाई-बहन को भी क्रिप्टोकरेंसी गिफ़्ट देते हैं तो इस पर टैक्स लगेगा.
सवाल- अगर क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन में नुक़सान हुआ तो क्या होगा?
जवाब- सालाना आय में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले फ़ायदे या नुक़सान को नहीं जोड़ा जा सकता.
अगर आपको अपने बिज़नेस से पांच लाख रुपए की कमाई हुई है और क्रिप्टोकरेंसी से एक लाख रुपए का नुक़सान हुआ है.
ऐसे में आपको पूरे पाँच लाख रुपए पर सरकार को टैक्स देना होगा. इसमें क्रिप्टोकरेंसी से हुए नुक़सान को एडजस्ट नहीं किया जा सकता.
यानी आप अपनी कमाई चार लाख रुपए नहीं दिखा सकते.
सवाल- डिजिटल रुपी, पेटीएम जैसे ई-वॉलेट में रखे पैसों से कैसे अलग है?
जवाब- डिजिटल रुपी में की बात करें, तो आपकी जेब में जो नोट और सिक्के पड़े हुए हैं वो डिजिटल रूप में आपके फ़ोन या वॉलेट में रहेंगे.
इसमें आपको बैंक की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. अभी के समय में कोई पेमेंट करने के लिए किसी बैंक या किसी पेमेंट वॉलेट का सहारा लेना पड़ता है.
पेटीएम जैसी ई-वॉलेट कंपनियां मध्यस्थ का काम करती हैं. डिजिटल रुपी में ऐसा नहीं होता. जैसे अभी आप कैश पैसे से लेन-देन करते हैं, वैसे ही डिजिटल रुपी से भी कर सकते हैं.
ये डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है. इससे पता चलेगा कि डिजिटल करेंसी कहां-कहां से चलकर आप तक आया है.
साधारण करेंसी की तरह की डिजिटल रुपी को भी भारतीय रिज़र्व बैंक जारी करता है.
सवाल- डिजिटल रुपी, क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग है?
जवाब- बिटकॉइन 2 करोड़ 10 लाख से ज़्यादा नहीं हो सकते. बिटकॉइन की सप्लाई लिमिटेड है, जब मांग बढ़ती है तब बिटकॉइन के दाम बढ़ने लगते हैं.
पांच साल पहले बिटकॉइन 22 हज़ार रुपए, फरवरी 2022 में क़रीब 30 लाख रुपए और आज की तारीख़ में इसकी क़ीमत 80 हज़ार डॉलर यानी करीब 67 लाख के पार जा चुकी है.
इसके दाम बढ़ते-घटते रहते हैं. ज़्यादातर क्रिप्टोकरेंसी की एक तय संख्या होती है, उससे अधिक उन्हें नहीं बनाया जा सकता.
दूसरी तरफ़ डिजिटल रुपी की क़ीमत में कोई बदलाव नहीं आता.
दस रुपए डिजिटल रुपी के तौर पर कई सालों के बाद भी दस रुपए ही रहेंगे. डिजिटल रुपी सिर्फ़ हमारे लेन-देन के तरीक़े को बदल देगा.
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