简体中文
繁體中文
English
Pусский
日本語
ภาษาไทย
Tiếng Việt
Bahasa Indonesia
Español
हिन्दी
Filippiiniläinen
Français
Deutsch
Português
Türkçe
한국어
العربية
एब्स्ट्रैक्ट:"जो आज हमारे पास नहीं है वो है हमारी बेटी, इस साल हम जब कश्मीर से नीचे की ओर आ रहे थे तो हमने हर उन
“जो आज हमारे पास नहीं है वो है हमारी बेटी, इस साल हम जब कश्मीर से नीचे की ओर आ रहे थे तो हमने हर उन जगहों पर ना जाने का फ़ैसला किया जहां मेरी बेटी की यादें जुड़ी है, जहां वह हमारे साथ बैठा करती थी. हम अब उन जगहों को उसके बिना देख नहीं सकते, अब हमें न्याय चाहिए. मेरी बेटी की निर्मम हत्या कर दी गई, उसने ऐसा क्या अपराध किया था जो उसे ऐसी मौत दी. हम एक ख़ौफ़ में जी रहे हैं. अब हम अपनी बेटी को अकेले कहीं नहीं जाने देते हैं. अब हमें चैन तभी मिलेगा जब मेरी बेटी को न्याय मिले. मैं उस घटना को भूल नहीं पाती, उसने मानो हमें बिखेर दिया हो. मेरा दिल, मेरी आत्मा बस अपनी नन्ही बेटी को याद ही कर सकता है. मेरी बेटी के साथ जो दरिंदगी की गई उसे याद करके मेरा दिल अब भी बैठ जाता.”
कठुआ गैंग रेप की शिकार आठ साल की बच्ची की मां ये कहते हुए कहीं खो जाती हैं.
जनवरी साल 2018 को एक मुस्लिम बकरवाल बच्ची की हत्या और बलात्कार किया गया. पुलिस के मुताबिक़ बच्ची को कई दिनों तक ड्रग्स देकर बेहोश रखा गया.
इस मामले में सोमवार, 10 जून को फ़ैसला आना है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के क्राइम ब्रांच ने इस मामले में आठ लोगों की गिरफ़्तारी की जिसमें एक नाबालिग़ शख्स भी शामिल है. अप्रैल 2018 में क्राइम ब्रांच ने चार्ज शीट दायर की थी.
जब पुलिस इस मामले में चार्जशीट दायर करने जा रही थी तो रास्ते में कुछ स्थानीय पत्रकारों ने उनका रास्ता रोका. अभियुक्तों के पक्ष में रैलियां निकाली गईं.
इसे देखते हुए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दख़ल दिया और आदेश दिया कि मामले का ट्रायल जम्मू से बाहर पठानकोट में किया जाएगा. और इस ट्रायल में हर दिन कैमरे के सामने कार्यवाही होगी.
प्लेबैक आपके उपकरण पर नहीं हो पा रहा
कठुआ गैंगरेप केस: आख़िर क्या कहते हैं गांव के लोग?'उसके बिना ज़िंदगी मौत से भी बदतर'
कश्मीर के सूदूर इलाक़े के एक जंगल में कैंप लगा कर रह रहे बच्ची के परिवार वालों और रिश्तेदारों को अब 10 जून का इंतज़ार है. उन्हें उम्मीद है कि नन्हीं आसिया (बदला हुआ नाम) को न्याय मिलेगा.
आसिया की बहन ने बीबीसी से कहा, “मेरी बहन के गुनहगारों को फांसी मिलनी चाहिए. एक साल से ज़्यादा हो गया है इसे, लेकिन हमें अब तक इंसाफ़ का इंतज़ार है. हमें सोमवार का इंतज़ार है. आप सोच भी नहीं सकते हम कैसे उसके बिना जी रहे हैं. उसके खिलौने, उसके कपड़े देखकर मुझे उसकी याद आती है.”
कठुआ केस में लागू होने वाला रणबीर पीनल कोड क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ केस पठानकोट ट्रांसफ़र किया
BBC SPECIAL: 'हम अपनी बेटी को कब्रिस्तान में दफ़न भी नहीं कर पाए'
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption
बच्ची की बहन
“वो जगहें जहां हम साथ-साथ खेला करते थे, ये वही जगह है जहां हम साथ बैठा करते थे. जब भी मैं उसकी बात करती हूं सब कुछ आंखों के सामने आ जाता है. वह घोड़ों को चराने बड़े शौक़ से जाती थी. जब वह ख़ूबसूरत जगहें देखती तो वहीं ठहर के खेलने लगती. जो मेरी बहन के साथ हुआ वह किसी के साथ ना हो.”
कश्मीर के जंगलों में एक टेंट लगा कर ये परिवार वहीं रह रहा है. परिवार ने जंगल से लकड़िया चुनकर कर आग जलाई है ताकी इस ठंड में ख़ुद को गर्म कर सकें. आग के चारों ओर परिवार के सदस्य बैठे हुए हैं.
यहीं बैठी आसिया की मामी फ़ैसला आने की बात पर बोल पड़ती हैं, “हमें नहीं पता कि क्या फ़ैसला आएगा हम बस यही जानते हैं कि मेरी बेटी के हत्यारों को सज़ा मिले. इस हादसे के बाद हम कठुआ में अपने बच्चों को रखते ही नहीं हैं, हम उन्हें कहीं और भेज देते हैं. डर भीतर ऐसा समाया है कि अब बच्चे घर से बाहर जाते हैं तो लगता है आएंगे या नहीं. आसिया की हत्या से पहले हमने सोचा था कि उसको मदसरा भेज देंगे, लेकिन ऐसा हो ना सका. बस हमें इंसाफ़ मिल जाए.”
“अब सर्दियों के दिन में हम कठुआ दूसरे रास्तों से जाते हैं. हमारी बच्ची की क्या ग़लती थी, हमारा तो हत्यारों से कोई लेना-देना नहीं था. वो हमें उस इलाक़े से हटाना चाहते थे और मेरी बेटी जो अनजान थी इन इंसानी फ़ितरतों से वो इसकी भेंट चढ़ गई.”
आसिया के पिता कहते हैं हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है. लेकिन अगले ही वाक्य में वह कहते हैं कि केस एक साल में बेहद सुस्त तरीक़े से चला है.
बीबीसी से उन्होंने कहा, “जो भी कोर्ट कर रहा है हमें उसकी प्रकिया पर पूरा यक़ीन है, लेकिन मैं अपने बेटी के साथ हुए उस जघन्य अपराध को कैसे भूलूं. जब भी मुझे उसकी तस्वीर नज़र आती हैं मानो मैं कुछ क्षण के लिए मैं मरा हुआ महसूस करता हूं.”
Image caption
बच्ची के पिता
एक साल में बहुत कुछ बदला
इस घटना के बाद, हिंदू एकता मंच ने अभियुक्तों के पक्ष में रैली निकाली थी और तिरंगा लहराया था. रैली में बीजेपी के दो मंत्री चौधरी लाल सिंह और सीपी गंडा मौजूद थे. विवाद के बाद दोनों मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और हत्या मामले की सीबीआई जांच को भी ख़ारिज कर दिया था.
दो अभियुक्तों ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. चौधरी लाल सिंह ने भी मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी और आंदोलन शुरू करने की धमकी दी थी.
इस केस से शुरुआती दौर में ही जुड़ी रहीं वकील दीपिका रजावत को आसिया के परिवार ने नवंबर, 2018 में केस से अलग कर दिया. परिवार का दावा था कि दीपिका 100 सुनवाई के दौरान बस 2 सुनवाई में ही मौजूद रहीं. दीपिका उस वक़्त चर्चा में आईं जब उन्होंने आसिया का केस ख़ुद लड़ने का ऐलान किया था.
इसके बाद रजावत ने दावा किया था कि ये केस लड़ने के कारण उन्हें धमकियां दी जा रही हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
पीड़िता के पक्ष में आंदोलन चलाने वाले व्हिसल ब्लोअर तालिब हुसैन को कथित बलात्कार के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
पुलिस का दावा है कि मुस्लिम बकरवाल समुदाय के लोग लंबे वक़्त से कठुआ के इस इलाक़े में रह रहे थे इसलिए ये हत्या की गई.
ट्रायल निष्पक्ष तरीक़े से हो इसलिए मई 2018 में इस केस को पठानकोट कोर्ट को ट्रांसफ़र कर दिया गया, अब सोमवार को देशभर की निगाहें इस केस के नतीजे पर होंगी.
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।