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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesपश्चिम बंगाल में कोलकाता का विद्यासागर कॉलेज एक छोटे कैंपस में सिमटा है लेकि
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पश्चिम बंगाल में कोलकाता का विद्यासागर कॉलेज एक छोटे कैंपस में सिमटा है लेकिन मंगलवार की शाम से बड़ा सियासी अखाड़ा बन गया है.
तंग सड़कें और बेशुमार ट्रैफिक इस इलाक़े की पहचान है. मंगलवार की शाम जो हुआ इसे देखने वालों का सिलसिला थम नहीं रहा है. यहां प्रदर्शनकारी सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं और इन्हें काबू में रखने के लिए पुलिसकर्मी भी.
मंगलवार की शाम कोलकाता में बीजेपी प्रमुख अमित शाह का रोड शो था. इस रोड शो के दौरान हिंसा हुई. इसी दौरान हिंसक झड़पों में कुछ शरारती तत्वों ने कॉलेज में लगी 19वीं सदी के समाज सुधारक ईश्वर चंद विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी.
इस मूर्ति के टूटने के बाद बंगाल की सियासत गर्म हो गई है. टीमएसी इसे बंगाली अस्मिता पर हमले से जोड़ रही है.
इस मूर्ति के टूटने का विरोध सबसे पहले सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) पार्टी के लोगों ने करना शुरू किया. इस पार्टी के लोगों का ग़ुस्सा बीजेपी के ख़िलाफ़ है.
इमेज कॉपीरइटEPAImage caption कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई है किसने तोड़ी ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति?
पार्टी के एक कार्यकर्ता शम्सुल आलम का कहना है, ''बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने मूर्ति तोड़ी है. इन्होंने ही कॉलेज के अंदर गाड़ियों में आग लगाई. हिंसा इनकी तरफ़ से ही शुरू हुई. बीजेपी और आरएसएस के लोगों ने दूसरे राज्यों में कई बड़े लोगों की मूर्तियां तोड़ी हैं.''
मूर्ति तोड़ने के विरोध में वामपंथी पार्टियों के सौ से अधिक कार्यकर्ता बुधवार को आए थे. सीपीएम की भी एक बड़ी रैली कॉलेज से होकर गुजरी. लोगों के हाथों में लाल झंडे थे. ये हिंसा के ख़िलाफ़ नारा लगा रहे थे. रैली में शामिल निरंजन चक्रवर्ती से पूछा कि मंगलवार की तोड़फोड़ के लिए ज़िम्मेदार कौन है?
निरंजन का जवाब था, ''हिंसा में दोनों पार्टियां शामिल थीं. यह टीएमसी और बीजेपी की साज़िश थी. यह पूर्वनियोजित हमला था.'' कॉलेज भीड़-भाड़ वाले इलाक़े में है. दोनों तरफ़ दुकानें हैं. पूरी घटना के बारे में इन दुकानदारों से पूछा कि उन्होंने मंगलवार की शाम क्या देखा था?
परिमल साहा नाम के एक दुकानदार ने बताया, ''अमित शाह का काफ़िला गुज़रते ही मारपीट शुरू हो गई. हमने ये नहीं देखा कि हमलावर कौन थे.''
राजन चक्रवर्ती नाम के एक और दुकानदार ने बताया, ''हिंसा शुरू होने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति हो गई थी. इसके बाद मैंने दुकान बंद की और वहां से निकल गया.''
यहां के दुकानदार कुछ भी साफ़-साफ़ कहने की स्थिति में नहीं हैं. इस इलाक़े की दुकानें आज खुली हैं लेकिन इनके मन में अब भी किसी अनहोनी की आशंका है.
मूर्ति का टूटना बना चुनावी मुद्दा
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति टूटने से प्रदेश भर में नाराज़गी है. विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे निमन रॉय इस हमले को बंगाल की संस्कृति पर हमला बताते हैं. वो कहते हैं, ''ईश्वर चंद्र विद्यासागर का सम्मान पूरा देश करता है और बंगाल में तो उन्हें लेकर काफ़ी आदर का भाव है. उनकी मूर्ति पर हमला बंगाल की संस्कृति पर हमला है.''
इस मूर्ति का टूटना पश्चिम बंगाल में एक मुद्दा बन गया है. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने मूर्ति टूटने के बाद अपने ट्विटर अकाउंट की डीपी में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की तस्वीर लगा ही है. टीएमसी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति का अपमान उनका अपमान है.
सीपीएम की रैली में शामिल एक बुज़ुर्ग ने कहा कि ममता बंगाली अस्मिता का नाटक कर रही हैं. उन्होंने कहा, ''ये ममता और उनकी पार्टी का नाटक है. वो इसका फ़ायदा उठाना चाहती हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसका कोई राजनीतिक फ़ायदा होगा.'' हालांकि कई लोगों का मानना है कि इससे ममता को फ़ायदा होगा.
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द हिन्दू अख़बार के वरिष्ठ पत्रकार शुभोजीत बागची कहते हैं कि इसका फ़ायदा तृणमूल कांग्रेस को मिलेगा. वो कहते हैं, ''कोलकाता की तीन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को ज़रूर फ़ायदा होगा.'' आख़िरी चरण में 19 मई को पश्चिम बंगाल में नौ सीटों पर मतदान है. ज़्यादातर सीटें कोलकाता के आसपास की हैं और इन सीटों को टीएमसी का गढ़ बताया जाता है.
पश्चिम बंगाल में पिछले छह चरणों के मतदान में लगभग सभी में हिंसा हुई है. आख़िर ऐसा क्यों है? सीपीएम कार्यकर्ता मनीष दास कहते हैं, ''ममता के पैरों तले से ज़मीन खिसक रही है इसलिए वो हिंसा करवा रही हैं. बीजेपी का कहना है कि टीएमसी के लोग उन्हें डराते-धमकाते हैं और मारपीट करते हैं.''
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टीएमसी का कहना है कि बीजेपी के लोग हिंसा भड़का रहे हैं. मंगलवार की घटना पर टीएमसी के समर्थक मोहन झा ने कहा, ''अमित शाह ने प्रदेश से बाहर के लोगों को बुलाया और बाहरियों ने ही हिंसा भड़काई.''
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