简体中文
繁體中文
English
Pусский
日本語
ภาษาไทย
Tiếng Việt
Bahasa Indonesia
Español
हिन्दी
Filippiiniläinen
Français
Deutsch
Português
Türkçe
한국어
العربية
एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesहाल ही में भारत प्रशासित कश्मीर की छह लोक सभा सीटों के लिए मतदान हुआ. जम्मू,
इमेज कॉपीरइटGetty Images
हाल ही में भारत प्रशासित कश्मीर की छह लोक सभा सीटों के लिए मतदान हुआ. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की इन सीटों पर कुल मिलाकर 44 फ़ीसदी मतदान हुआ, जो कि 2014 के मतदान से पांच प्रतिशत कम है. 2014 में यहां का मतदान प्रतिशत 49% रहा था.
लेकिन अगर सिर्फ़ घाटी की बात की जाए तो ये आँकड़ा और कम है. हिंसा की सबसे खूनी पृष्ठभूमि और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच घाटी की तीन सीटों पर सिर्फ़ 19% वोट पड़े.
2014 के लोक सभा चुनावों में कश्मीर के 31% मतदाताओं ने वोट डाला था.
वहीं इलाके के लिहाज़ से भारत के सबसे बड़े निर्वाचन-क्षेत्र लद्दाख में 71% लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया और इसी के साथ लद्दाख मतदान प्रतिशत के मामले में लिस्ट में सबसे ऊपर रहा.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
कश्मीर के चुनाव नतीजों का मूल्यांकन करना हमेशा एक पेचीदा काम रहता है, क्योंकि राज्य के भौगोलिक और राजनीतिक विभाजन की वजह से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र के मतदान प्रतिशत को मिलाकर यहां आंकड़ा दो अंकों में आता है.
लोक सभा के 543 सांसदों में से सिर्फ़ 6 भारत प्रशासित कश्मीर के भौगोलिक रूप से तीन अलग-अलग इलाकों - कश्मीर, जम्मू और लद्दाख से होते हैं. ये इलाके मिलकर जम्मू-कश्मीर राज्य बनाते हैं.
जम्मू में दो सीटें हैं, लद्दाख में एक और कश्मीर में तीन सीटे हैं.
उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल या मध्य प्रदेश से अलग जम्मू-कश्मीर के आधा दर्जन सांसद दिल्ली की केंद्र सरकार में ज़्यादा चुनावी महत्व नहीं रखते हैं.
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि आम चुनाव में भारत की राष्ट्रीय पार्टियों के लिए कश्मीर राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है.
पत्रकार रियाज़ मलिक कहते हैं, “ये साल अलग था. बीजेपी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नारे और कश्मीर के मुद्दे पर चुनाव लड़ा. चुनावी बयानबाज़ी में पुलवामा हमला और पाकिस्तान के साथ तनाव मुखर रहे. इस तरह सिर्फ़ छह सीटें होने के बावजूद कश्मीर भारतीय चुनावों के केंद्र में रहा, लेकिन घाटी में कम लोग वोट करने निकले.”
ये भी पढ़ें:क्या कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री हो सकता है?
इमेज कॉपीरइटGetty Images
10 ज़िलों वाली कश्मीर की तीन सीटों में से बारामुला सीटमें सबसे ज़्यादा 34% मतदान दर्ज किया गया. बारामुला सीट में बारामुला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा ज़िले शामिल है,
वहीं श्रीनगर सीट, जिसमें श्रीनगर, बड़गाम और गांदरबल ज़िले शामिल हैं, में आधे से कम, 14% मतदान प्रतिशत रहा.
और अनंतनाग सीट, जिसमें अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा शामिल हैं, वहां सबसे कम 8.7% मतदान हुआ.
यहां मतदान प्रतिशत काफी ज़्यादा गिरा है, क्योंकि इस बार के मुकाबले 2014 में यहां 29% मतदान हुआ था.
अलगाववादी समूहों और कुछ चरमपंथी समूहों ने चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन कश्मीर पर नज़र रखने वाले लोगों का मानना है कि 2014 से जिस तरह की राजनीति हो रही है, उससे कश्मीरियों में असंतोष है.
रियाज़ मलिक कहते हैं, “पहले भी चुनाव का बहिष्कार होता रहा है, लेकिन फिर भी कश्मीरी वोट डालने जाते थे. असल में, कश्मीरियों के मन में एक डर बैठा दिया गया, ये कत्लोगारत के ना रुक पाने वाले सिलसिले के बीच हुआ. हालांकि विशेष राज्य के दर्जे को हटाने का बात से उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ्ती को कुछ फायदा मिला, गहरे असंतोष की वजह से चुनावों में मतदान प्रतिश्त कम रहा.”
ये भी पढ़ें:जम्मू-कश्मीर में लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ होने चाहिए थे?
इमेज कॉपीरइटGetty Images
ये चुनाव हिंसा के सबसे बुरे दौर की पृष्ठभूमि में हुआ. सिर्फ़ 2018 में 160 आम नागरिक मारे गए, जिनमें 31 बच्चे और 18 महिलाएं थीं. चरमपंथियों और सुरक्षाबलों समेत 500 से ज़्यादा मौतें हुईं.
अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र सबसे ज़्यादा अशांत रहा.
2015 में महबूबा मुफ़्ती के इस्तीफा देकर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने के बाद से इस इलाके का प्रतिनिधित्व कोई नहीं कर रहा है.
प्रशासन ने श्रीनगर और अनंतनाग में उपचुनाव कराने की कोशिश की, लेकिन श्रीनगर सीट पर आठ मौते हुईं और मतदान प्रतिशत सिर्फ 7% रहा.
जिसके बाद प्रशासन को अनंतनाग सीट पर मतदान स्थगित करना पड़ा.
दक्षिण कश्मीर में तनाव के स्तर का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में सिर्फ अनंतनाग एक ऐसी सीट है, जहां चुनाव तीन चरणों में कराया जा रहा है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिककर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्रामऔर यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।