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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption एशियाई शेर गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या नई ऊंचाई पर पहुंच
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption एशियाई शेर
गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या नई ऊंचाई पर पहुंच गई है. बीबीसी गुजराती को मिली जानकारी के मुताबिक़ अगले साल जारी होने वाली शेरों की संख्या में अच्छी ख़ासी वृद्धि देखने को मिल सकती है.
हाल ही में गुजरात वन विभाग ने पाया है कि गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या बढ़ी है. गुजरात का गिर जंगल का 1600 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल इन शेरों का घर है.
मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक़ शेरों की संख्या में 700 की वृद्धि हुई है जिसमें से 240 शेर के बच्चे एक या दो साल के कम उम्र के हैं.
प्रधान वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वॉर्डन अक्षय सक्सेना कहते हैं, ''ये आकंड़े शेरों की गणना से जुड़े हैं जिन्हें हम साल 2020 में जारी करेंगे. लेकिन अभी तक की जानकारी के मुताबिक शेरों की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि इसकी अपनी अलग चुनौतियां भी हैं.''
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गिर में शेरों की संख्या
2019
1917
मानव-पशु का संघर्ष
शेरों की यह संख्या उनके लिए संरक्षित एक छोटे क्षेत्र में बढ़ी है. इन शेरों को गिर-सोमनाथ, जूनागढ़, अमरेली, भावनगर और बोतढ़ में देखा जा सकता है. लेकिन ये बढ़ती आबादी के चलते अक्सर संरक्षित क्षेत्र से बाहर निकल आते हैं और रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं.
राज्य के वन विभाग ने गुजरात हाई कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर कर कहा है कि 532 में से 200 शेर खुले इलाक़े में घूमते हुए पाए गए हैं.
हाल फ़िलहाल में ऐसे कई वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें शेर लोगों की बस्तियों में पहुंच गए और कभी किसी इंसान या पालतू पशु पर हमला कर दिया.
साल 2016 में एक बच्चे समेत तीन लोग शेर का शिकार बन गए थे, जिसके बाद 13 शेरों को पिंजरे में बंद करना पड़ा था.
रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2014-15 में 125 लोग शेर के हमले से घायल हो गए थे और क़रीब 1000 जानवर उनका शिकार बने.
इमेज कॉपीरइटGetty Images
वहीं दूसरी तरफ़ अपने खेतों और जानवरों को शेरों के हमले से बचाने के लिए किसानों ने बिजली के करंट वाले तारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इसकी वजह से कई शेरों की भी मौत हुई.
अक्टूबर 2013 में विसवड़ा के मापौरी गांव में बिजली के तारों से उलझने की वजह से एक शेर की मौत हो गई थी. बाद में उस खेत के किसान को गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि उसने उस मृत शेर को छिपाने की कोशिश की थी.
पर्यावरणविद तखुभाई संसुरे ने बीबीसी गुजराती को बताया कि लगभग 40 प्रतिशत शेर जंगल के इलाक़े से बाहर रहते हैं. यह आंकड़ा ख़ुद शेरों के लिए ख़तरनाक है.
साल 2015 की गणना के मुताबिक़ एशियाई शेरों के ज़रिए मापा गया क्षेत्रफल लगभग 20 हज़ार वर्ग किलोमीटर निकला था, जबकि इन शेरों के लिए 1883 वर्ग किलोमीटर का इलाक़ा संरक्षित किया गया था.
इमेज कॉपीरइटGetty Images184 एशियाई गिर शेरों की मौत
कैग की साल 2017 की रिपोर्ट बताती है कि 2011 में गिर जंगल में 108 एशियाई शेर थे, साल 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 167 हो गया. यानी की कुल 54.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
गिर नेशनल पार्क और गिर जंगल के बाहर के राजस्व वाले इलाके में शेरों की आबादी लगातार बढ़ रही है.
कैग की रिपोर्ट में इको सेंसिटिव ज़ोन की ओर से जारी एक मसौदे के हवाले से चेतावनी दी है कि 32 प्रतिशत शेर अब गिर राष्ट्रीय अभयारण्य से बाहर रह रहे हैं.
इस मसौदे के अनुसार गिर के आस पास रहने वाले शेरों की तुरंत गिनती करने की ज़रूरत है.
साल 2008 में गिर नेशनल पार्क और वन्यजीव अभ्यारण्य के इलाक़े को 178.87 वर्ग किलोमीटर और बढ़ा दिया गया था.
फ़रवरी 2017 में गुजरात के वन मंत्री गणपत वसावा ने राज्य विधानसभा में कहा था कि 2016 से 2017 के बीच कुल 184 शेरों की मौत हुई थी.
इनमें से 32 शेरों की प्राकृतिक मौत हुई जबकि बाकी के शेर अलग-अलग वजहों से मारे गए. कुछ शेर खुले कुएं में गिर गए तो कुछ खेतों में लगे बिजली के तारों से उलझ गए जबकि कुछ शेरों की सड़क और रेल दुर्घटना में मौत हुई.
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इमेज कॉपीरइटAFPबढ़ती आबादी,बढ़ता ख़तरा
वन्यजीव और संरक्षण वैज्ञानिक रवि चैल्लम बीते तीन दशक से गिर के शेरों पर रिसर्च कर रहे हैं. उनका मानना है कि भारत में शेरों का जीवन ख़तरे में है.
उन्होंने कहा, ''अगर किसी एक शेर में भी वायरस में मिलता है तो वह सभी के लिए नुकसानदायक बन जाता है. साल 1993-94 में अफ़्रीका के तंजानिया के नेशनल पार्क में कैनाइन डिस्टेम्पर वायरस की वजह से हज़ारों शेर मर गए थे.''
हाल ही में गुजरात में भी कुछ शेरों में यह वायरस पाया गया था. इन शेरों को अलग कर दिया गया था.
इमेज कॉपीरइटdipak vadherImage caption सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर शेर के वायरल वीडियो
पिछले हफ्ते शेर की एक तस्वीर बहुत वायरल हुई थी जिसमें शेर एक छोटे से टैंक से पानी पी रहे थे.
इस फोटो में लगभग दर्जनभर शेर के बच्चे थे.
इसी तरह से मार्च के महीने में पलाश के पेड़ के पास एक शेर की तस्वीर भी बहुत वायरल हुई थी. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह तस्वीर ट्वीट की थी. यह तस्वीर एक सुरक्षाकर्मी ने खीचीं थीं.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @narendramodi
Majestic Gir Lion....Lovely picture! https://t.co/jl5zdxW9PV
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) 11 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @narendramodi
कई बार शेर जंगलों से निकलकर गांवों और सड़कों पर आ जाते हैं, लोग उन शेरों की तस्वीरे और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं.
इन सभी चीजों की वजह से शेर और मानव के बीच संघर्ष बढ़ा है और शेरों का जीवन मश्किल हुआ है.
अस्वीकरण:
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