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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटTwitterImage caption जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पह
इमेज कॉपीरइटTwitterImage caption जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने पहले पन्ने पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप से सम्बन्धित एक रिपोर्ट छापी है.
अख़बार लिखता है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की जांच कर रही आंतरिक समिति से कहा है कि वो आरोप लगाने वाली महिला की अनुपस्थिति में जांच न करें क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट की बदनामी होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक़ जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन ने मामले की जांच कर रही समिति से मिले और जांच को लेकर अपनी चिंताएं जताईं.
इससे पहले जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2 मई को जांच समिति को एक पत्र भी लिखा था कि अगर आरोप लगाने वाली महिला की गैर मौजूदगी में जांच चलती रही तो इससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता को नुक़सान पहुंचेगा.
यौन उत्पीड़न की शिक़ायत करने वाली महिला ने ख़ुद को जांच से अलग कर लिया है. उन्होंने सुनवाई में शामिल होने से भी इनकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ़ जस्टिस रंजन गोगई पर उनकी पूर्व जूनियर सहयोगी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जस्टिस गोगोई ने इस आरोप से इनकार करते हुए इसे स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए एक 'ख़तरा' बताया था.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption जस्टिस रंजन गोगोई
वहीं, वकील उत्सव बैंस ने दावा किया था यौन उत्पीड़न के ज़रिए न्यायपालिका के ख़िलाफ़ 'साज़िश' रची जा रही है. बैंस ने दावा किया था कि महिला का केस लड़ने और इस बारे में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के लिए उन्हें 'रिश्वत' की पेशकश की गई थी.
फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय इस मामले की विभागीय जांच कर रही है जिसमें जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बैनर्जी शामिल हैं.
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इमेज कॉपीरइटDASSAULT RAFALE'रफ़ाल मामले में सरकार की निगरानी दख़ल नहीं'
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ केंद्र ने रफ़ाल मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक ताज़ा हलफ़नामे में कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इस डील की निगरानी को दख़लअंदाज़ी नहीं कहा जा सकता.
इस मामलों में याचिका दायर करने वालों ने इंडियन नेगोसिएशन टीम (INT) के सदस्यों द्वारा ज़ाहिर की गई गंभीर चिंताओं का हवाला दिया था. केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ताओं की चिंताओं और आरोपों को ख़ारिज किया और अपने दावों के समर्थन में पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के एक बयान का ज़िक्र किया.
मनोहर पर्रिकर ने कहा था, “प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा किसी सौदे की प्रगति पर नज़र रखना, सौदे में दख़लअंदाज़ी करना नहीं है.”
रफ़ाल सौदे में दख़लअंदाज़ी के आरोप बात रक्षा मंत्रालय के लीक हुए काग़जात के आधार पर लगाए गए हैं.
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इमेज कॉपीरइटSubrat Kumar Pati/BBCफणी: भारत की दुनिया भर में तारीफ़
चक्रवाती तूफ़ान फणी अब बांग्लादेश पहुंच गया है.
टाइम्स ऑफ़ इंडियालिखता है कि भारत और ओडिशा सरकार ने जिस तरह तूफ़ान आने से पहले चेतावनी जारी की और लगभग 12 लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा, उसकी संयुक्त राष्ट्र समेत कई वैश्विक संस्थाओं ने तारीफ़ की है.
संयुक्त राष्ट्र के डिज़ास्टर रिस्क रिडक्शन ( डीआरआर) ऑफ़िस ने कहा कि सरकार के प्रभाव बचाव कार्य ने 'कई ज़िंदगियां बचा लीं'.
इस ऑपरेशन में 45,000 वालेंटियर्स और 2,000 आपात कार्यकर्ताओं की मदद ली गई थी. तूफ़ान के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए टीवी विज्ञापनों, सायरनों और अन्य माध्यमों से लगभग तीन लाख संदेश भेजे गए थे.
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इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption एमजे अकबर #MeToo से मेरी छवि को नुक़सान पहुंचा: एमजे अकबर
बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर ने कहा है कि कार्यस्थल पर यौन शोषण के बारे में सोशल मीडिया पर चली #MeToo मुहिम से उनकी 'छवि को नुक़सान' पहुंचा है.
ये ख़बरजनसत्तामें छपी है.
एमजे अकबर पर पत्रकार प्रिया रमानी समेत उनके साथ काम कर चुकी कई महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. प्रिया रमानी के लगाए आरोपों के जवाब में अकबर ने उन पर मानहानि का मुक़दमा किया है.
इसी मानहानि मामले में अकबर शनिवार को अदालत में पेश हुए थे. अकबर ने अदालत में अपने बयान में कहा कि यौन उत्पीड़न के 'घिनौने', 'मनगढ़ंत' और 'झूठे' आरोपों के कारण उन्हें नुक़सान झेलना पड़ा. एमजे अकबर ने अदालत में ख़ुद को निर्दोष बताया.
उन्होंने ये बातें आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी की मौजूदगी में कहीं. इस दौरान रमानी की वकील रेबेका जॉन ने उनसे सवाल-जवाब भी किए. हालांकि ज़्यादातर सवालों के जवाब में अकबर ने सिर्फ़ 'मुझे याद नहीं' कहा.
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