简体中文
繁體中文
English
Pусский
日本語
ภาษาไทย
Tiếng Việt
Bahasa Indonesia
Español
हिन्दी
Filippiiniläinen
Français
Deutsch
Português
Türkçe
한국어
العربية
एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटSHURIAH NIAZI/BBCप्रज्ञा सिंह ठाकुर मालेगांव धमाके की अभियुक्त हैं और फ़िलहाल ज़मानत पर
इमेज कॉपीरइटSHURIAH NIAZI/BBC
प्रज्ञा सिंह ठाकुर मालेगांव धमाके की अभियुक्त हैं और फ़िलहाल ज़मानत पर बाहर हैं.
महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ था जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे.
इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने 23 अक्तूबर 2008 को साध्वी प्रज्ञा सिंह, कर्नल पुरोहित, अजय राहीरकर, राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे को लोगों को गिरफ्तार किया था. भारतीय जनता पार्टी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल लोकसभा से अपना उम्मीदवार बनाया है.
इस हमले में लियाकत अली शेख़ की दस साल की बेटी फ़रीन की मौत हो गई थी. वे बताते हैं, “पांचवीं में पढ़ती थी, दस साल की थी. टिकिया भजिया लाने गई थी. तेज़ धमाके की आवाज़ आई. मेरी घरवाली ने कहा कि अपनी बच्ची भी गई है, मैं ने कहा कि आ जाएगी.”
“लेकिन जब घबराहट हुई थी तो मैं गया. मुझे बताया गया कि बच्ची भी घायलों में हैं. मैं वाडिया अस्पताल गया. लेकिन उन लोगों ने मुझे बच्ची को देखने भी नहीं दिया. कहा आप मत देखो. मैं देख भी नहीं पाया”
Image caption लियाकत अली शेख की बेटी फ़रीन की तस्वीर
वे आगे बताते हैं, “ऐसे धमाके करवाने वाली साध्वी को फांसी या सज़ा मिलनी चाहिए थी, आप टिकट दे रहे हैं.”
हालांकि लियाकत अली शेख़ को भरोसा है कि इस मामले में इंसाफ़ होगा. वे कहते हैं, “हमको हिंदुस्तान के क़ानून पर यक़ीन है, हमें इंसाफ़ मिलेगा. हमें पूरा भरोसा है.”
इस हमले में 20 साल के अज़हर बिलाल की भी मौत हो गई थी.
मुसलमान हमारे अपने लोग हैं: साध्वी प्रज्ञा
कमलनाथ का कौन सा क़र्ज़ चुकाया दिग्विजय ने
इमेज कॉपीरइटReutersImage caption मालेगांव बम धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी
कमलनाथ, संजय गांधी से दोस्ती से लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक
अज़हर के 59 साल के पिता निसार अहमद सैय्यद बिलाल का बताते हैं, “उस दिन बिलाल भिकू चौक गया था और वहीं पर धमाके की चपेट में आ गया. आज अगर वह ज़िंदा होता तो मेरा सहारा बन गया होता.”
साध्वी प्रज्ञा सिंह को भोपाल से टिकट दिए जाने पर निसार अहमद सैय्यद बिलाल कहते हैं, “मुजरिम को सज़ा मिलनी चाहिए. लेकिन उन्हें टिकट दिया जा रहा है. हमारे ज़ख़्मों पर नमक छिड़का जा रहा है.”
परिवार को किसी तरह की मदद के बारे में भी सैय्यद नाराज़ हैं, उनके मुताबिक़, “परिवार के लिए कोई फ़ायदा नहीं मिला है. सरकारी नौकरी का आश्वासन मिला था, लेकिन ना तो नौकरी मिली है और ना ही किसी तरह का मुआवज़ा मिला है.”
Image caption निसार सैय्यद अहमद बिलाल के बेटे की धमाके की मौत हो गई थी.
निसार अहमद सैय्यद बिलाल इस मामले में कहते हैं, “इस मामले की जांच की हेमंत करकरे ने की थी और उनके द्वारा जमा किए गए काग़ज़ात अब गुम हो गए हैं, ऐसा सरकार दावा कर रही है. अगर सरकार बोल रही है कि हम चौकीदार हैं तो चौकीदार के होते हुए काग़ज़ात गुम कैसे हो गए.”
बिलाल ने एनआईए कोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल करके कहा है कि साध्वी को चुनाव लड़ने से रोका जाए. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है, “साध्वी के वकील ने यह कहकर ज़मानत ली है कि वो बहुत बीमार हैं और बिना सहारे चल फिर नहीं सकती हैं. वे कोर्ट की सुनवाई में भी हाज़िर नहीं होती हैं और दूसरी तरफ़ लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं. इसका मतलब है कि वे पूरी तरह स्वस्थ्य हैं. ये कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश है क्योंकि उनको बीमारी के आधार पर ही ज़मानत मिली है.”
एनआईए को प्रज्ञा ठाकुर की ज़मानत पर ऐतराज़ नहीं
मालेगांव धमाके के पीड़ितों का मामले को क़ानूनी रूप से लड़ने वालों में स्थानीय डॉक्टर अख़लाक़ भी शामिल हैं. वे पीड़ितों से मिलकर एनआईए में गवाहों की पेशी भी सुनिश्चित करते हैं.
उन्होंने कहा, “किसी भी हालत में साध्वी की ज़मानत रद्द होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने बीमारी का बहाना बनाकर ज़मानत ली है. कोर्ट की तारीख़ पर नहीं आ रही हैं. लेकिन चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं. ये ठीक बात नहीं है.”
स्थानीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता आसिफ़ अली बताते हैं, “आज बीजीपे ने साध्वी प्रज्ञा को टिकट दिया है, कल आप छोटा राजन, दाऊद इब्राहिम या रवि पुजारी को भी टिकट दे सकते हैं ताकि किसी भी तरह से चुनाव जीता जाए. ये साफ़ दिख रहा है कि नाथूराम गोडसे के विचार गांधी के विचार पर भारी पड़ रहे हैं.”
महाराष्ट्र के वरिष्ठ भाजपा नेता और मंत्री गिरीश महाजन का कहना है, “साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के उपर कोई भी आरोप अभी तक साबित नहीं हुए हैं. पिछले दस साल से चल रहे मामले में उन्हें ज़मानत मिली है.”
“अगर आरोप साबित नहीं हुए हैं तो किसी को उनके चुनाव लड़ने को विरोध करने की वजह नहीं है. इंदिरा गांधी की की हत्या के बाद सिखों का कत्लेआम हुआ था. उसके आरोप गांधी परिवार पर थे फिर भी वह चुनाव लड़ ही रहे थे. इसलिए साध्वी कोई विरोध ना करे और उसकी राजनीति भी ना करें.”
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।
FOREX.com
FBS
IQ Option
IC Markets Global
EC Markets
Tickmill
FOREX.com
FBS
IQ Option
IC Markets Global
EC Markets
Tickmill
FOREX.com
FBS
IQ Option
IC Markets Global
EC Markets
Tickmill
FOREX.com
FBS
IQ Option
IC Markets Global
EC Markets
Tickmill