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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesहममें से कई लोगों को बचपन में ये कहा जाता रहा है कि मज़बूत हड्डियों के लिए द
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हममें से कई लोगों को बचपन में ये कहा जाता रहा है कि मज़बूत हड्डियों के लिए दूध पीना चाहिए.
ये सुनने में सच भी लगता है क्योंकि दूध में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों में पाए जाने वाले मिनरल के लिए फ़ायदेमंद होता है.
लेकिन दूध पीने से हड्डियों के मज़बूत होने का संबंध जितना सरल लगता है ये उतना ही जटिल है.
दूध और हड्डियों के बीच का संबंध समझने के के लिए साल 1997 में हावर्ड यूनिवर्सिटी ने 77000 महिला नर्सो पर एक शोध किया. इन महिलाओं के खानपान का 10 साल तक अध्ययन किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि जो महिलाएं सप्ताह में एक बार या उससे भी कम दूध पीती हैं और जो सप्ताह में तीन या उससे अधिक बार दूध पीती हैं दोनों के हड्डियों के फ़्रेक्चर होने की संख्या में कोई अंतर नहीं था.
इस टीम ने ऐसा ही एक अध्ययन तीन लाख 30 हज़ार पुरूषों पर किया. और यहां भी हड्डियों के फ़्रैक्चर होने पर दूध पीने का कोई असर नहीं नज़र आया.
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साल 2015 में न्यूज़ीलैंड की एक टीम ने दूध के ही इस असर को समझने के लिए एक ट्रायल किया. जिसमें कुछ लोगों के आहार में कैल्शियम तत्वों वाली चीज़ों को जोड़ा गया. इस टीम ने ऐसे ही पुराने 15 अध्ययनों की भी दोबारा समीक्षा की और पाया कि दो सालों तक तो कैल्शियम से हड्डियों के घनत्व पर असर पड़ा है लेकिन दो साल बाद वक़्त के साथ दूध से हड्डियों पर कुछ ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता.
शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति के लिए कैल्शियम सप्लिमेंट भी लिए जाते हैं लेकिन उनके लंबे इस्तेमाल के ख़तरे भी हैं. न्यूज़ीलैंड की इस टीम ने कैल्शियम के सप्लिमेंट के असर को समझने के लिए 51 अन्य ट्रायल भी किए. इसमें सामने आया कि इनसे भी हड्डियों का मज़बूत होना एक या दो साल बाद बंद हो जाता है. ये कैल्शियम सप्लिमेंट बढ़ती उम्र के साथ सिर्फ़ हड्डियों के मिनरल के नुक़सान को कम कर सकता है या रोक सकता है.
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इन्हीं डेटा का जब अन्य देशों ने अध्ययन किया तो उन्होंने इसके मुताबिक़ रोज़ाना खाने में कैल्शियम की मात्रा अलग-अलग तय की. जैसे अमरीका में रोज़ाना खाने में कैल्शियम की मात्रा को यूके और भारत के मुक़ाबले दोगुना रखा. अमरीका में हर दिन एक शख़्स को 227 मिली लीटर दूध पीने के लिए कहा जाता है.
दूध हमारे लिए कितना फ़ायदेमंद है और कितना नहीं इसी बहस के बीच साल 2014 में दो नई स्टडीज़ सामने आईं जिसके मुताबिक़ जो लोग दिन में तीन ग्लास या उससे ज़्यादा दूध पीते हैं उनकी हड्डियों को इससे कोई फ़ायदा नहीं होता बल्कि ये नुक़सानदेह हो सकता है.
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साल 1987 और 1997 में स्वीडेन की उप्पसला यूनिवर्सिटी और कारोलिस्का इंस्टीट्यूट ने कुछ लोगों से उनके आहार में दूध की खपत से जुड़ी एक प्रश्नावली दी. साल 2010 में इन लोगों की मृत्युदर का अध्ययन किया गया, इसमें पाया गया कि जो लोग रोज़ाना एक ग्लास दूध पीते हैं, उनकी हड्डियों में टूटने की घटना भी सामने आईं साथ ही उनकी मौत भी जल्दी हुई.
स्वीडेन के अध्ययनों में भाग लेने वालों से उनकी दूध के इस्तेमाल का औसत पूछा गया था. ऐसे में इन लोगों ने प्रश्नावली में सिर्फ़ यही बताया कि वे दूध कितना लेते हैं लेकिन इसके अलावा खाने में दूध की कई चीज़ों का इस्तेमाल भी होता है.
इन अध्ययनों में साफ़ तौर पर कहा गया है कि किसी भी डाइट की सलाह देने से पहले इन डेटा का दोबोरा अध्ययन करने की ज़रूरत है.
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अब तक जो भी अध्ययन सामने आए हैं उन्हें मिलाकर जो सामने आ रहा है उसके मुताबिक़ अगर आप दूध पीते हैं तो ये ठीक है. संभव है कि हड्डियों पर इसका असर हो.
लेकिन हड्डियों के मज़बूत रखने के दूसरे तरीक़े भी हो सकते हैं. व्यायाम और विटामिन डी हड्डियों को मज़बूत बनाने का बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.
इसके लिए आप धूप लें, ठंड के दिनों में विटामिन डी सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है.
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