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एब्स्ट्रैक्ट:किसानों के क़र्ज़ की माफ़ी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने के वायदे ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की स
किसानों के क़र्ज़ की माफ़ी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने के वायदे ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को सत्ता की कमान सौंप दी.
राज्य बनने के बाद ये पहला मौक़ा था जब किसी भी पार्टी को इतनी सीटें मिलीं थीं.
भूपेश बघेल ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही उस अध्यादेश पर दस्तख़त कर दिए जिसके तहत क़र्ज़ माफ़ी की योजना लागू कर दी गई.
कई किसानों को उनके क़र्ज़ की रक़म वापस मिल गई.
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जिन्हें इस घोषणा का लाभ मिला उनमें वो किसान भी थे जिन्होंने पांच हज़ार रुपये लिए थे और वो भी थे जिन्होंने पांच लाख लिए थे.
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विधानसभा के चुनावों के फ़ौरन बाद किसान अपनी धान की फ़सल लेकर धान ख़रीदी केंद्र पहुँचने लगे.
बैंकों से नोटिस
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किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ा हुआ मिला और गाँव में ख़ुशी की लहर फैल गई.
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मगर इस घोषणा का लाभ सिर्फ़ उन किसानों को मिला जिन्होंने राज्य के सहकारिता बैंक या फिर ग्रामीण बैंकों से क़र्ज़ लिया था.
जिन किसानों ने सरकारी (राष्ट्रीयकृत) बैंकों से ऋण लिया था उन्हें अब बैंकों से नोटिस मिलने लगे हैं.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक विधानसभा चुनावों से पहले तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे.
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कमलनाथ के बाद बघेल ने माफ़ किया किसानों का क़र्ज़
राहुल का न्यूनतम आमदनी का वादा कितना संभव?
कोई सुनवाई नहीं
他说, “美国国会宣布将赦免所有农民的债务。”
“他并没有说,只是Shkari收款银行也将缓解从农村银行借款人的贷款。”
{} 18 “这个承诺是假的,从而国会设法赢得选举。” {18 } 根据达勒姆尔·卡希克,这么大Tbkha农民谁觉得自己背叛
现在原谅农民的债务在拉贾斯坦邦
Rahul Gandhi的“最低收入保障”索赔究竟真相如何?
{} 22 试图掩盖自杀? {22} {} 777 图片标题区合作银行的首席执行官PRABHAT米什拉根据农民还没有捷克,但债务的债务调查宽恕去,因为新政府 {777} {} 24 反对派指控被直接转移到农民账户我们位于Abhanpur地区,距离Chhattisgarh的Raipur有30公里范围存在Kendrai到达稻谷购买中心。 {24} 在中心成立于1933年。今天,附近的农民都存储在这里。
{} 26 在交谈的过程中存在许多农民债务从MET在中心区看了合作银行,并已原谅他的债务 {26} {} 27 移至命令的新政府处理政府MSP的所有优点的帐户也找到了。 {27}
看到眼睛在请新都农民患前
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बीबीसी से बातचीत में धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारी बैंकों से क़र्ज़ लेने वाले किसानों की तो कोई सुनवाई ही नहीं है.
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वो कहते हैं, “कांग्रेस ने घोषणा की थी कि सभी किसानों का क़र्ज़ माफ़ होगा.”
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“उसने ये नहीं कहा था कि सिर्फ़ सहकारिता बैंक या ग्रामीण बैंकों से लोन लेने वालों को भी रहत मिलेगी.”
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“ये वादा तो झूठा निकला जिसके सहारे कांग्रेस चुनाव जीतने में कामयाब रही.”
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धरमलाल कौशिक के अनुसार, किसानों का बड़ा तबक़ा ऐसा है जो ख़ुद को छला हुआ महसूस कर रहा है.
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अब राजस्थान में भी किसानों का क़र्ज़ माफ़
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किसानों की आत्महत्या पर पर्दा डालने का प्रयास?
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Image caption जिला सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रभात मिश्र के अनुसार किसी किसान को चेक नहीं दिया गया है बल्कि क़र्ज़ माफ़ी की रक़म किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर कर दी गई है नई सरकार के आने के बाद
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विपक्ष के आरोपों की पड़ताल करते हुए हम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 30 किलोमीटर दूर अभनपुर के इलाक़े में मौजूद केंद्री धान ख़रीदी केंद्र पहुंचे.
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इस केंद्र की स्थापना वर्ष 1933 में हुई थी. आज आस-पास के किसान यहाँ जमा हैं.
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बातचीत के क्रम में इस केंद्र में मौजूद ज़्यादातर किसान ऐसे मिले जिन्होंने ज़िला सहकारिता बैंक से क़र्ज़ लिया था और उनका क़र्ज़ भी माफ़ हो गया.
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नई सरकार के कमान संभालते ही सभी के खातों में पैसे स्थानांतरित हो गए और सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ भी उन्हें मिला.
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कांग्रेस अपने इसी फ़ैसले को लोक सभा के चुनावों में ज़ोर शोर से प्रचारित कर रही है.
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नई राजधानी के लिए ज़मीन देनेवाला किसान बेहाल
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हज़ारों किसानों के दिल्ली कूच से पहले की आंखों देखी
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राजस्थान, एमपी, छत्तीसगढ़ में भाजपा या कांग्रेस?
Image caption नेतराम साहू, अभनपुर के केंद्री की सहकारिता समिति के अध्यक्ष हैं
बीजेपी के राज में...
वो किसानों की क़र्ज़ माफ़ी और न्युनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का दोबारा चुनावी फ़ायदा उठाना चाहती है.
नेतराम साहू, अभनपुर के केंद्री की सहकारिता समिति के अध्यक्ष हैं. वो मानते हैं कि क़र्ज़ माफ़ी से किसानों को फायदा हुआ है.
मगर वो कांग्रेस को एक और वायदे की याद दिलाते हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस ने वायदा किया था कि किसानों को मिलने वाले बोनस की रक़म को भी बढ़ाया जाएगा.
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“बोनस बढ़ा. मगर कांग्रेस ने वायदा किया था कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में दो साल का बक़ाया बोनस भी उन्हें दिया जाएगा जो अभी तक नहीं मिला.”
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वायदे की याद
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जिला सहकारी बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रभात मिश्र के अनुसार किसी किसान को चेक नहीं दिया गया है बल्कि क़र्ज़ माफ़ी की रक़म किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर कर दी गई है.
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वो इस प्रक्रिया को समझाते हुए कहते हैं कि जब किसान अपना धान बेचने आते हैं तो उनके द्वारा ली गई क़र्ज़ की रक़म अपने आप उनके खाते से कट जाती है. धान के पैसे भी सीधे खातों में ही जमा होते हैं.
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केंद्री के इलाक़े में मौजूद इन्हीं किसानों में से एक लेखु साहू सरकार को उस वायदे की याद दिलाते हैं जब उनसे कहा गया था कि बिजली का बिल आधा हो जाएगा.
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वो कहते हैं कि सरकार के वायदे के अनुसार बिल अप्रैल की पहली तारीख़ से ही आधा हो जाना चाहिए था. “मगर इस बार तो पहले से भी ज़्यादा बढ़ा हुआ बिल मिला है.”
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Posted by BBC News हिन्दी on Saturday, 6 April 2019
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मुख्यमंत्री की सफ़ाई
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि वो राष्ट्रीयकृत बैंकों से भी बात कर रहे हैं.
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उनका कहना है कि उन्होंने सभी सरकारी बैंकों से कहा है कि वो किसानों को नोटिस ना भेजे जब तक सरकार उनके क़र्ज़ माफ़ी की रूप रेखा तैयार नहीं कर लेती.
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बघेल कहते हैं, “राष्ट्रीयकृत बैंकों से बातचीत चल रही है और हमारे अधिकारी मसौदा तैयार कर रहे हैं. उन किसानों के भी लोन माफ़ होंगे जिन्होंने वहां से क़र्ज़ लिया है.”
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“बिजली के बिल भी आधे हो रहे हैं. हमने अप्रैल का वादा किया था और अप्रैल अभी शुरू ही हुआ है. अब जो बिल आयेंगे वो आधे होंगे.”
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FB LIVE : छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए इस बार #LoksabhaElection2019 में कौन से मुद्दे अहम हैं?. रायपुर के सुदूर इलाके अभनपुर में किसानों के साथ बात कर रहे हैं बीबीसी संवाददाता सलमान रावी.
Posted by BBC News हिन्दी on Wednesday, 3 April 2019
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पोस्ट फ़ेसबुक समाप्त 2 BBC News हिन्दी
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नया वित्तीय वर्ष
विपक्ष का मानना है कि जोश में कांग्रेस ने वायदे तो कर दिए, मगर उन्होंने सरकारी ख़ज़ाने की तरफ़ देखा भी नहीं कि ऐसा करना संभव है या नहीं और सरकार को इससे कितना वित्तीय घाटा सहना पड़ सकता है.
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धरमलाल कौशिक का आरोप है कि ये पहला मौक़ा है जब सरकार ने आते ही ख़ज़ाना ख़ाली कर दिया हो.
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उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि अब सरकार के पास कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए भी पैसे नहीं हैं. विभागों के आवंटन ट्रेज़री से वापस लौटा दिए जा रहे हैं.
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मगर भूपेश बघेल इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि मार्च का महीना वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना होता है.
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नया वित्तीय वर्ष अप्रैल से ही शुरू होता है. इस लिए ट्रेज़री से भुगतान नहीं हो रहा था. अब हालात सामान्य होते जा रहे हैं.
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वो कहते हैं, “अभी तो हमारी सरकार के सिर्फ़ 60 दिन हुए हैं. केंद्र की सरकार के तो 60 महीने हुए हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 15 सालों तक छत्तीसगढ़ में शासन किया. हमने जब सत्ता की बागडोर संभाली तो सरकारी ख़ज़ाना ख़ाली मिला. अब हम राज्य की अर्थ व्यवस्था को पटरी पर ला रहे हैं.”
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