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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGoogleImage caption भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली रविवार को दिल्ली में बेमौसम
इमेज कॉपीरइटGoogleImage caption भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली
रविवार को दिल्ली में बेमौसम की बरसात तो हुई लेकिन इससे गर्मी में थोड़ा सुकून ज़रूर मिल गया.
लेकिन, दूसरी तरफ आईपीएल-12 में ही रविवार को खेले गए पहले मुक़ाबले में रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर, दिल्ली कैपिटल्स से चार विकेट से हार गई.
इससे दिल्ली को तो राहत मिली लेकिन लगातार छठी हार ने बैंग्लोर और उसके समर्थकों को तोड़ कर रख दिया.
यह हार का मौसम बैंग्लोर के लिए इसलिए भी बेरहम है क्योंकि विराट कोहली भारत के भी कप्तान है.
उनकी रूठी क़िस्मत और लगातार मिलती हार से उन पर सवाल उठने तो लाज़मी हैं.
विराटकोहलीका प्रदर्शन
दिल्ली के सामने जीत के लिए कुल 150 रनों का लक्ष्य था जो उसने कप्तान श्रेयस अय्यर के 67, पृथ्वि शॉ के 28 और कोलिन इनग्राम के 22 रन की मदद से 18.5 ओवर में छह विकेट खोकर हासिल कर लिया.
इमेज कॉपीरइटPTIImage caption श्रेयस अय्यर
इससे पहले बैंग्लोर ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी के लिए बुलाए जाने पर निर्धारित 20 ओवर में 8 विकेट खोकर 149 रन बनाए.
हांलाकि, कप्तान विराट कोहली ने सबसे अधिक 41 रन भी बनाए.
लेकिन जब टीम लगातार हार रही हो तो फिर इतने रन से काम नहीं चलता.
अब टीम अगर ऐसे ही हारेगी तो उस पर सवाल तो खड़े होंगे ही साथ ही इसका ज़िम्मेदार कप्तान को भी माना जाएगा.
विराट कोहली ने अभी तक इस बार आईपीएल के छह मैचों में 33.83 की औसत से केवल 203 रन बनाए हैं.
इसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 84 रन है. यह रन उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स के ख़िलाफ़ बनाए थे.
इसके अलावा उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ 23, सनराइजर्स हैदराबाद के ख़िलाफ़ तीन, मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ 46 और चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ छह रन बनाए थे.
IPL 2019: आईपीएल का पूरा शेड्यूल यहां देखिए
हार के बावजूद कोहली का 'प्रयास' चर्चा में क्यों
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption एबी डिविलियर्स और विराट कोहली आईपीएल की सबसे महंगी टीम
यह वही विराट कोहली हैं जिनका बल्ला दो साल पहले 2016 में ऐसा गरजा था कि तमाम विरोधी गेंदबाज़ त्राही-माम, त्राही-माम कर उठे थे.
तब उन्होंने 16 मैचों में 973 रन बना डाले थे. इसमें उनके चार शतक और सात अर्धशतक भी शामिल थे.
इसके बाद ही उन्हें दुनिया का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ भी माना गया क्योंकि उस दौरान उन्होंने दुनिया भर के तमाम गेंदबाज़ों की जमकर ख़बर ली.
उनके शॉट्स की टाइमिंग, बैकफुट-फ्रंटफुट पर खेलने का अंदाज़, कट,पुल, हुक, स्ट्रेट ड्राइव, कवर ड्राइव यानि क्रिकेट का हर शॉट उनके पास था.
शॉट्स की तो आज भी उनके पास कोई कमी नहीं लेकिन वैसा आत्मिविश्वास नहीं है. फिर वहीं, विराट कोहली भारत के कप्तान भी हैं.
उन्होंने ख़ुद कहा था कि आईपीएल के आधार पर किसी खिलाड़ी को आगामी विश्व कप से बाहर नहीं किया जाएगा लेकिन अगर उनकी टीम का इस बार आईपीएल में यही हाल रहा तो ज़ाहिर है उनके अपने आत्मविश्वास पर भी गहरा असर पडेगा.
वैसे तो उनकी कप्तानी पर हमेशा सवाल उठते रहते हैं, ख़ासकर इस बात को लेकर कि बैंग्लोर की टीम आईपीएल की शायद सबसे महंगी टीम है.
वह अपने खिलाड़ियों पर भी सबसे अधिक पैसा खर्च करती है लेकिन इसके बावजूद वह कभी भी आईपीएल का फाइनल नहीं जीत सकी.
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आईपीएल-12: बैंग्लोर चैलेंजर्स की लगातार चौथी हार
इमेज कॉपीरइटAFP/GETTY IMAGESImage caption क्रिस गेल भी कभी बैंग्लोर के थे
चाहे उसकी टीम में दुनिया के सबसे तेज़-तर्रार खिलाड़ी क्रिस गेल तक भी क्यों ना रहे हों. अब तो गेल ख़ैर पंजाब के लिए खेल रहे हैं.
उनके अलावा एबी डिविलियर्स भी इस बार अपना कोई कमाल नहीं दिखा सके हैं.
इस बार उनका खेल देखकर लगता है कि जैसे अपना सर्वश्रेष्ठ वह दे चुके हैं.
अगर ऐसा है तो फिर आने वाले मैचों में विराट की समस्याएं और भी बढ़ सकती हैं.
धोनी की कप्तानी से सीख
सबसे बड़ी बात विराट कोहली एक कप्तान के रूप में यह नहीं जानते कि किस पिच पर कौन से खिलाड़ी खिलाने चाहिए.
जबकि यह बात महेंद्र सिंह धोनी से बेहतर कोई नहीं जानता.
यही कारण है कि एकदिवसीय और टी-20 अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में तो वह धोनी से सलाह लेते रहते हैं लेकिन आईपीएल में वह क्या करें.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption महेंद्र सिंह धोनी
धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स तो पिछली चैंपियन है और इस बार भी धोनी के दम पर वह पांच में से चार मैच जीत चुकी है.
धोनी की बल्लेबाज़ी और शानदार कप्तानी का डंका आईपीएल में इन दिनों बज रहा है.
अब ऐसा भी नहीं है की बैंग्लौर की टीम हमेशा आईपीएल में फिसड्डी रही है.
बैंग्लोर साल 2016 में दूसरे स्थान पर रही थी. इसके अलावा वह साल 2009 में भी फाइनल हारी.
डायनासोर की पूंछ जैसी लम्बी टीम
इस बार इस टीम की हार की सबसे बड़ी वजह बल्लेबाज़ों की नाकामी ही है.
चेन्नई के ख़िलाफ़ केवल 70, मुंबई के ख़िलाफ़ पांच विकेट पर 185, हैदराबाद के ख़िलाफ़ महज़ 113 रन पर सिमटना और राजस्थान के ख़िलाफ़ भी 158 रन बनाना यानि यह साबित करता है कि उनके बल्लेबाज़ बेहद दबाव में है.
विराट के अलावा एबी डिविलियर्स इस बार दिल्ली के ख़िलाफ़ 17, कोलकाता के ख़िलाफ़ 63, राजस्थान के ख़िलाफ़ 13, हैदराबाद के ख़िलाफ़ 1 और चेन्नई के ख़िलाफ़ नौ रन ही बना सके हैं.
उन्होंने मुंबई के ख़िलाफ़ नाबाद 70 रन ज़रूर बनाए लेकिन इस बार वह पूरी लय में नहीं है.
रही बात सलामी बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल की तो वह बस थोड़ा बहुत तेज़ शुरूआत दे देते है लेकिन उनके बल्ले से बड़ी पारी नहीं निकलती है.
इसके बाद पहले हैटमायर शुरुआती मैचों में नहीं चले तो अब स्टोइनिस भी चमत्कार नहीं कर रहे हैं.
आखिरी बल्लेबाज़ों की बात करें तो वह तो डायनासोर की पूंछ जैसी लम्बी है.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption पार्थिव पटेल
पवन नेगी, टिम साउदी, युज्वेंद्र चहल, मोहम्मद सिराज़ से आखिरी चार ओवर में तीस-चालीस रन की उम्मीद नहीं की जा सकती या फिर अगर एक ही ओवर में जीत के लिए 10-15 रन बनाने हों तो भी.
यानि केवल तीन बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल, ख़ुद विराट कोहली और डिविलियर्स के दम पर तो बैंग्लोर का दम फूलेगा ही.
विराट कोहली इसके अलावा अपने गेंदबाज़ों से भी बेहद निराश हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption युज्वेंद्र चहल, मोइन अली
उनके पास युज्वेंद्र चहल और मोइन अली के रूप में शानदार स्पिनर तो हैं लेकिन यह भी अब बस रन रोकने की कोशिश करते हैं.
विकेट लेने वाली गेंद करने की उनकी हिम्मत जवाब दे चुकी है.
टिम साउदी, नवदीप सैनी और मोहम्मद सिराज़ तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर नाकाम रहे हैं.
यहां तक कि जब बैंग्लोर पिछले मैच में एक समय कोलकाता से लगभग जीतने के हालात में थी तब आंद्रे रसेल ने केवल 13 गेंदों पर नाबाद 48 रन बनाकर उनके हाथ से जीती बाज़ी छीन ली थी.
तब कोहली ने भी माना कि उनके पास अंतिम ओवरों में चतुराई से गेंदबाज़ी करने वाले गेंदबाज़ नहीं है.
ऐसे में एक ऐसी टीम जिसके बल्लेबाज़ लय में नहीं है, गेंदबाज़ों का कोई ख़ौफ विरोधियों में नहीं है, टीम हर मैच हार रही है, और अब तो वह सुपर फोर की दौड़ से भी बाहर ही है तो सवाल उठाती हर अंगुली कप्तान विराट कोहली पर ही उठेगी, चाहे वह बुरा मानें या भला.
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