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एब्स्ट्रैक्ट:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रचार की शुरुआत मेरठ से की. पाँच सा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रचार की शुरुआत मेरठ से की. पाँच साल पहले इसी शहर से मोदी ने 2014 के चुनावों का शंखनाद भी किया था.
रैली में मेरठ से नहीं आस-पास के इलाक़ों से बड़ी संख्या में लोग पहुँचे थे. मुज़फ़्फ़रनगर से लेकर कैराना और खतौली से लेकर सहारनपुर तक से लोग मोदी को सुनने यहाँ पहुँचे थे. चारों तरफ़ गहमागहमी का माहौल.
अधिकतर ग्रामीण इलाक़ों से आए थे. काफ़ी लोग 10 बजे सुबह ही मैदान में पहुँच गए थे.
महिलाएँ कम थीं, लेकिन उन में जोश काफ़ी था. वो मोदी और भाजपा के पक्ष में नारे लगाते अंदर आ रही थीं. किसानों और युवाओं की बड़ी संख्या सिर पर भाजपा की टोपी और हाथ में पार्टी का गेरुवा झंडा लिए सभा में मौजूद थी.
सुरक्षाकर्मी मैदान के चारों तरफ़ मौजूद थे. लेकिन किसी ने अगर काली शर्ट पहनी थी तो सुरक्षाकर्मी उसे उतारने को मजबूर कर रहे थे. उसकी वजह ये थी कि ख़बर थी कि कुछ वक़ील मोदी को काला झंडा दिखाने की योजना बनाए हुए थे.
दरअसल, ख़बरें थी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की अलग बेंच गठित करने की मांग को लेकर वकील नाराज़ हैं और कुछ संगठनों ने चेतावनी दी थी कि वो मोदी को चुनावी रैली के दौरान काले झंडे दिखाएंगे.
गर्मी से बेहाल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर के उतरने की सबसे सुरक्षित जगह भगवती कॉलेज के निकट थी.
हेलिपैड को कुछ दिनों के अंदर ही तैयार किया गया था. पीएम और सीएम दोनों के लिए मंच तक पहुँचने का रास्ता अंदर से ही बनाया गया था. मंच के ऊपर टेंट लगा था और पंखे लगे हुए थे. वहाँ गर्मी का एहसास कम था.
लेकिन ये क्या मोदी का भाषण अभी शुरू भी नहीं हुआ था कि इससे पहले ही कुछ लोग मैदान से बाहर जाने लगे. लेकिन ऐसा क्यों हो रहा था?
रैली से वापस लौटने वाले दर्जनों लोगों से मैंने पूछा कि मोदी के भाषण से पहले ही वो सभा छोड़ कर क्यों जा रहे हैं.
कुछ ने कहा वो मंच से दूर थे और वो अपने नेता का चेहरा नहीं देख पा रहे थे. कुछ ने कहा पीने के लिए पानी का इंतज़ाम नहीं था. कुछ और ने कहा कि स्पीकर्स कई थे और आवाज़ टकरा रही थी जिसके कारण वो मोदी से पहले योगी आदित्यनाथ के भाषण को सुन नहीं पा रहे थे. उन्हें लगा कि शायद बाहर भाषण साफ़ सुनायी देगा. लेकिन वहाँ भी उन्हें मायूसी हुई क्योंकि वहाँ भी मोदी के भाषण को भी सही से नहीं सुना जा सका.
रैली में शामिल में एक व्यक्ति ने कहा, “बेशुमार पब्लिक है और गर्मी भी हो ही रही.”
लेकिन मैदान से बाहर आ रहे अधिकतर लोगों का कहना था कि गर्मी इतनी अधिक थी कि वो खुले मैदान में बैठ या खड़े नहीं रह पा रहे थे.
गर्मी ने बिगाड़ा माहौल
चुनावी सभा खुले मैदान में आयोजित की गई थी जहाँ ना तो पेड़ थे और नहीं वहाँ टेंट आदि का इंतज़ाम था. और सूरज 12 बजे दिन को सिर पर चढ़ा था. गर्मी के कारण कुछ बूढ़े लोगों को चक्कर तक आ गए थे.
तो मेरठ शहर से कुछ किलोमीटर दूर एक खुले मैदान में सभा का इंतज़ाम किया जाना कितना सही था? लोगों की राय में समस्या ख़राब इंतज़ाम से पैदा हुई.
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योगी आदित्यनाथ के लम्बे भाषण के बाद प्रधानमंत्री का भाषण शुरू हुआ और वो आदित्यनाथ से भी कहीं लम्बा भाषण था जिसके दौरान उन्होंने अपनी और राज्य सरकारों की उपलब्धियाँ गिनाईं और कहा कि बाहर की ताक़तों से और आतंकवाद से अब देश सुरक्षित है.
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मोदी ने अपने भाषण के दौरान जब-जब 'महामिलावटी' शब्द का इस्तेमाल किया, लोगों के उनकी हाँ-हाँ में मिलाने का शोर सुनाई दिया.
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मोदी समर्थकों में जोश
उनके भाषण के बाद रैली में शामिल लोगों ने कहा कि वो उम्मीदवारों को नहीं, बल्कि मोदी को वोट देंगे.
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कई लोगों में हमारे इंटरव्यू के बीच भीड़ में मोदी-मोदी के नारे लगाए. युवाओं में उत्साह अधिक था. उन्हें इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि विपक्ष मोदी के ख़िलाफ़ रोज़गार ना पैदा करने का इल्ज़ाम लगाता आया है.
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आम चुनाव का पहला चरण 11 अप्रैल को है. पिछले चुनाव में मोदी लहर में यहाँ की सभी 10 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी.
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लेकिन इस बार राह 2014 जितनी आसान नहीं है. मोदी की भाजपा के ख़िलाफ़ राज्य की तीन विपक्षी पार्टियों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने महागठबंधन बनाया है. महागठबंधन के उम्मीदवारों से भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
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