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एब्स्ट्रैक्ट:Image caption लड़कियों के पिता हरी लाल ने कहा है कि उनकी बेटियां नाबालिग़ हैं पाकिस्तान में दो हिंदू
Image caption लड़कियों के पिता हरी लाल ने कहा है कि उनकी बेटियां नाबालिग़ हैं
पाकिस्तान में दो हिंदू लड़कियों के कथित अपहरण और फिर जबरन धर्म परिवर्तन का मामला इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पहुंच गया है.
इस मामले में मंगलवार को तब नया मोड़ आ गया जब दोनों लड़कियों ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश से कहा कि उनकी उम्र 18 और 20 साल हो रही है और उन्होंने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम धर्म को अपनाया है.
बीबीसी संवाददाता फ़रहान रफ़ी ने बताया कि दोनों पीड़ित लड़कियों ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने सरकार से कहा था कि सरकारी एजेंसियां और मीडिया उनका उत्पीड़न कर रही हैं, लिहाज़ा इस पर रोक लगाई जाए.
उन्होंने सरकार से यह भी कहा है कि इस मामले के बाद उनकी जिंदगी ख़तरे में पड़ गई है, लिहाज़ा उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए.
कोर्ट ने दोनों लड़कियों को सुरक्षा मुहैया करा दी है. हाईकोर्ट ने इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर को आदेश दिया है कि दोनों लड़कियों को सुरक्षा प्रदान किया जाए और उनको शेल्टर होम भेज दिया जाए.
अदालत ने ये भी कहा कि दोनों लड़कियां डिप्टी कमिश्नर की इजाज़त के बग़ैर इस्लामाबाद से बाहर नहीं जा सकती हैं. अदालत ने दोनों लड़कियों के पति को भी सुरक्षा देने के आदेश दिए हैं.
याचिका में लड़कियों ने कहा था कि पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक़ उन्हें धर्म चुनने की आज़ादी है और ऐसा उन्होंने अपनी मर्ज़ी से किया है.
इस मौक़े पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अतहर मिनअल्लाह ने कहा कि कुछ ताक़तें पाकिस्तान की छवि को ख़राब करना चाहती हैं.
उनका कहना था, ''पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकार दूसरे देशों की तुलना में ज़्यादा है.''
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले की जांच कर रही है और जांच पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए. इस मामले में अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी.
लेकिन भारत शायद पाकिस्तान के इस तर्क से सहमत नहीं है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले को लेकर तीन ट्वीट किए हैं.
सुषमा ने कहा है, ''पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण: लड़कियों की उम्र को लेकर कोई विवाद नहीं है. रवीना केवल 13 साल की है और रीना 15 साल की. नए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी नहीं मानेंगे कि इस उम्र में ये लड़कियां ख़ुद से धर्मांतरण और शादी पर फ़ैसला नहीं ले सकती हैं. दोनों लड़कियों को इंसाफ़ मिले और इन्हें परिवार के पास लौटाया जाए.''
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @SushmaSwaraj
Forced conversion of Hindu girls in Pakistan : The age of the girls is not disputed. Raveena is only 13 and Reena is 15 years old. /1
— Chowkidar Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) 26 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @SushmaSwaraj
पिता का बयान और बेटियों का क़बूलनामा?
हालांकि लड़की के पिता का कहना है कि उनकी दोनों बेटियां नाबालिग़ हैं जिनकी उम्र 13 और 15 साल हो रही है. एक वीडियो क्लिप सामने आया है जिसमें लड़की के पिता हरी लाल कह रहे हैं, “वो बंदूक़ लेकर आए और उन्होंने मेरी बेटियों को अग़वा कर लिया. इस बात को आठ दिन हो गए हैं और अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.”
“मुझे कोई नहीं बता रहा है कि मामला क्या है और न ही उनसे मिलने दिया जा रहा है. उनमें से एक 13 साल की है और दूसरी 15 साल की.”
“हमसे कोई बात तक नहीं कर रहा है. बस मैं ये चाहता हूं कि कोई जाए और मेरी बेटियों को मेरे पास ले आए. पुलिस कह रही है कि आज नहीं तो कल, ये मामला सुलझ जाएगा, पर अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.”
पिता के अलावा एक और वीडियो सोशल मीडिया में दिख रहा है जिसमें कथित तौर पर दोनों लड़कियां रोती हुई दिखी थीं और बता रही थीं कि निकाह के बाद उन्हें मारा-पीटा जा रहा है.
लेकिन मंगलवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में इस वीडियो के बारे में कोई बात नहीं हुई. बीबीसी भी इन दोनों वीडियो के सही होने की पुष्टि नहीं कर सकती है.
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इमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES/FB/FAWAD HUSSAINपाकिस्तान में बहस जारी
इस घटना को लेकर पाकिस्तान में काफ़ी बहस हो रही है. कई पाकिस्तानी ही पूछ रहे हैं कि केवल कम उम्र की लड़कियां ही इस्लाम से क्यों प्रभावित होती हैं और इन्हें अग़वा क्यों किया जाता है. इसके साथ ही यह भी पूछा जा रहा है कि लड़कियों को मुसलमान बनाकर पत्नी ही क्यों बनाया जाता है? उन्हें बहन और बेटी क्यों नहीं बनाया जाता?
पाकिस्तान में हिंदू संगठन के लोग इस घटना के विरोध में सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. दरअसल, ये घटना होली के एक दिन पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत की है.
मीडिया में ख़बर आने के बाद भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग से इस पर रिपोर्ट मांगी थी.
इस पर तुरंत जवाब पाकिस्तान के सूचना मंत्री फ़व्वाद चौधरी का आया और उन्होंने कहा कि “ये पाकिस्तान का आंतरिक मामला है और ये नरेंद्र मोदी का भारत नहीं, जहां अल्पसंख्यक समुदाय को परेशान किया जाता है.”
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @fawadchaudhry
Mam its Pakistin internal issue and rest assure its not Modi‘s India where minorities are subjugated its Imran Khan’s Naya Pak where white color of our flag is equally dearer to us.I hope you ll act with same diligence when it comes to rights of Indian Minorities https://t.co/MQC1AnnmGR
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) 24 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @fawadchaudhry
इस पर सुषमा स्वराज ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के उच्चायुक्त से केवल रिपोर्ट ही मांगी थी और पाकिस्तान के मंत्री बेचैन हो गए, इससे पाकिस्तान की मंशा का पता चलता है.
मामले को तुल पकड़ता देख पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं.
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Image caption कोर्ट के बाद लड़कियों ने कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया है
छोड़िए फ़ेसबुक पोस्ट BBC News हिन्दी
पाकिस्तान में दो हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा गरमाया...
Posted by BBC News हिन्दी on Monday, 25 March 2019
पोस्ट फ़ेसबुक समाप्त BBC News हिन्दी
पाकिस्तान पुलिस ने बीबीसी को बताया है कि मामले में अभी तक किसी तरह की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. एफ़आईआर में तीन लोगों का नाम है और उनकी तलाश जारी है.
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Image caption अध्यक्ष डॉ. मेहदी हसन का कहना है कि जिन लोगों का मजहब देश के मजहब से अलग होगा, वो खुद व खुद द्वयं दर्जे के नागरिक हो जाते हैं.
'मज़हबी रियासतसही मायने में लोकतांत्रिक रिसायत नहीं हो सकती है'
वैसे ये पहली दफ़ा नहीं है कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के धर्म परिवर्तन या जबरन शादी का मामला सामने आया है.
ऐसे मामले पाकिस्तान में क्यों हो रहे हैं और ऐसा न हो, इसके लिए क्या कुछ किया जा रहा है?
यह सवाल बीबीसी संवाददाता जुगल पुरोहित ने पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. मेहदी हसन से पूछा.
डॉ. हसन ने कहा, “पाकिस्तान एक मजहबी रियासत है. ऐसी हरकतें मजहबी सोच रखने वाले लोग करते हैं और इसमें राजनीतिक पार्टियां अपनी भूमिका सही तरह से अदा नहीं करती हैं, जो उन्हें करना चाहिए.”
“मैं ये मानता हूं कि कोई भी मजहबी रियासत सही मायने में लोकतांत्रिक रियासत नहीं हो सकती है. यहां जिन लोगों का मजहब देश के मजहब से अलग होगा, वो ख़ुद ब ख़ुद दूसरे दर्जे के नागरिक हो जाते हैं.”
“देश के अल्पसंख्यकों को संविधान ने समान अधिकार दिया तो है लेकिन धार्मिक सोच की वजह से ऐसी परेशानियां आती रहती हैं.”
मेहदी हसन आगे जोड़ते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने संज्ञान तो लिया है लेकिन इतने भर से काम नहीं चलेगा, जब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाए.
वो कहते हैं कि मामले में अभियुक्तों की गिरफ़्तारी होनी चाहिए.
वो याद दिलाते हैं कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने संविधान सभा में अपने पहले संबोधन में कहा था कि मजहब पाकिस्तान की सिसायत में कोई किरदार अदा नहीं करेगा और ऐसा नहीं होता है तो यह जिन्ना का पाकिस्तान नहीं होगा.
पाकिस्तान में हिंदूओं की तदाद क़रीब 30 लाख है और सबसे बड़ी संख्या में ये सिंध प्रांत में रहते हैं. पाकिस्तान के अलग-अलग संगठनों का दावा है कि हर साल लगभग एक हज़ार हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवा कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है.
अस्वीकरण:
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