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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटPTIबीजेपी को पूर्वोत्तर भारत में बड़ा झटका लगा है क्योंकि बीते दो दिनों में इसके 23 नेता
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बीजेपी को पूर्वोत्तर भारत में बड़ा झटका लगा है क्योंकि बीते दो दिनों में इसके 23 नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है.
अकेले अरुणाचल प्रदेश में दो मंत्रियों और छह विधायकों समेत 20 नेताओं ने मंगलवार को बीजेपी छोड़कर नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) का दामन थाम लिया.
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गृह मंत्री कुमार वाई, पर्यटन मंत्री जरकार गामलिन, बीजेपी महासचिव जरपुम गामबिन समेत विधायकों के पार्टी छोड़ एनपीपी में जाने से अब राज्य विधानसभा में एनपीपी के विधायकों की संख्या 13 हो गई है.
हालांकि 60 सदस्यीय विधानसभा में अब भी बीजेपी के पास 40 विधायकों का समर्थन हासिल है. बीते रविवार को ही बीजेपी ने राज्य विधानसभा के लिए 54 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी.
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List of 54 BJP candidates for ensuing Legislative Assembly election 2019 for Arunachal Pradesh finalised by BJP CEC. pic.twitter.com/mflUASDwLj
— BJP (@BJP4India) 17 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @BJP4India
अरुणाचल में 11 अप्रैल को है चुनाव
अरुणाचल प्रदेश में 11 अप्रैल को दो लोकसभा सीटों के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए भी वोट डाले जाएंगे.
ईटानगर में मीडिया को संबोधित करते हुए एनपीपी के महासचिव थॉमस संगमा ने कहा कि एनपीपी अब 60 सदस्यीय विधानसभा में कम से कम 30-40 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेगी.
उन्होंने कहा, “यदि सभी सीटों पर जीत दर्ज करते हैं तो हम अपनी सरकार बनाएंगे.”
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इमेज कॉपीरइटFACEBOOKImage caption अरुणाचल प्रदेश विधानसभा मणिपुर, मेघालय में भी बीजेपी सरकार में है एनपीपी
फ़िलहाल राज्य में एनपीपी और बीजेपी के गठबंधन की सरकार है. एनपीपी पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन का भी सदस्य है लेकिन दोनों पार्टियां आगामी लोकसभा में एक साथ नहीं उतर रही हैं.
एनपीपी मणिपुर में भी बीजेपी नीत सरकार में गठबंधन में है. नगालैंड में भी यह बीजेपी और एनडीपीपी के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा है.
उधर त्रिपुरा के बीजेपी उपाध्यक्ष सुबल भौमिक समेत बीजेपी के तीन नेता मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस में शामिल हुए दोनों नेता पूर्व मंत्री हैं.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद भौमिक ने कहा कि कुछ लोग उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिए जाने के ख़िलाफ़ हैं.
उन्होंने कहा, “मैं उस पार्टी पर बोझ नहीं बनना चाहता जहां आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. इसलिए मैंने कांग्रेस में वापस जाने का फ़ैसला किया है.”
1970 के दशक के अंत से भौमिक कांग्रेस में थे. कांग्रेस के टिकट पर 2008 में वो विधायक बने. 2013 में राज्य विधानसभा में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने अपनी पार्टी प्रगतिशील ग्रामीण कांग्रेस के गठन के लिए कांग्रेस को छोड़ा. हालांकि 2014 में वो बीजेपी में शामिल हो गए थे.
इमेज कॉपीरइटTWITTER @INCCONGRESSपूर्वोत्तर में राहुल ने क्या कहा?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शुक्रवार को त्रिपुरा में थे और इस दौरान उन्होंने जमकर मोदी सरकार पर हमला बोला.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @INCIndia
पूरे नार्थ-ईस्ट में बीजेपी की सरकार क्या कर रही है - किस प्रकार से आप पर आक्रमण हो रहा है, किस प्रकार आपको दबाया जा रहा है - ये आप सब जानते हैं : कांग्रेस अध्यक्ष @RahulGandhi #TripuraWelcomesRahulGandhi pic.twitter.com/NwLNXF5IZ5
— Congress (@INCIndia) 20 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @INCIndia
राहुल गांधी ने कहा, “हम जानते हैं कि यहां पर अलग-अलग तरह की कठिनाइयां हैं, इसलिए कांग्रेस की सरकार ने अरुणाचल को विशेष राज्य का दर्जा दिया था, सिर्फ़ दर्जा ही नहीं दिया था, बल्कि दिल से रिश्ता जोड़ा था. जो स्पेशल स्टेटस छीना गया है, उसे हम लागू करेंगे. जैसे ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी हम यह फ़ैसला लेंगे.”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, फैसले लेने से पहले अरुणाचल से पूछा जाना चाहिए कि आख़िर वह क्या चाहता है. उन्होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि फ़ैसले राज्य के हिसाब से होने चाहिए.
उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी पूर्वोत्तर की संस्कृति को बर्बाद करना चाहती है. यह बीजेपी और आरएसस की सोच है. जो लोग आरएसएस से जुड़े हैं, उन्हें विश्वविद्यालयों में जगह दी जा रही है. आरएसएस के लोगों को कुलपति बनाया जा रहा है.”
अस्वीकरण:
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