简体中文
繁體中文
English
Pусский
日本語
ภาษาไทย
Tiếng Việt
Bahasa Indonesia
Español
हिन्दी
Filippiiniläinen
Français
Deutsch
Português
Türkçe
한국어
العربية
एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesदावा: नरेंद्र मोदी सरकार ने वादा किया था कि साल 2022 तक हर भारतीय को रहने के
इमेज कॉपीरइटGetty Image
दावा: नरेंद्र मोदी सरकार ने वादा किया था कि साल 2022 तक हर भारतीय को रहने के लिए घर मिल जाएगा. जिसमें इस साल के अंत तक ग्रामीण इलाक़ों में एक करोड़ घर तैयार करने के साथ शहरी इलाक़ों में 2022 तक एक करोड़ घर बनाने की बात शामिल थी.
फ़ैसला: भारत में आवास की कमी की गंभीर समस्या को देखते हुए ज़्यादा घर बनाने की योजना बनी और स्वीकृत भी हुई लेकिन अब तक इस दिशा में सरकार ने जितने घर बनाने का वादा किया था, उतना काम नहीं हुआ है.
हालांकि बीजेपी की सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार की तुलना में कहीं ज़्यादा तेज़ गति से घर बना रही है.
2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेघरों के लिए आवासीय योजना की शुरुआत की थी. फ़रवरी 2018 में उन्होंने कहा, 2022 तक सबको घर देने का हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा."
2011 की जनगणना के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ भारत की 1.2 अरब आबादी में बेघरों की आबादी 17.7 करोड़ है.
हाल-फ़िलहाल के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के मुताबिक़ बेघरों की संख्या आधिकारिक संख्या से कहीं ज़्यादा है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ भारत की सबसे अधिक आबादी वाले शहर मुंबई में 57,416 लोग बेघर हैं लेकिन एक स्थानीय ग़ैर-सरकारी संस्था के मुताबिक़ वास्तव में चार से पांच गुना ज़्यादा लोग बेघर हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty Image
ऐसे में हर किसी को आवास देने के लिए कितने घरों की ज़रूरत होगी, इसका पता लगा पाना बेहद मुश्किल है.
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि मौजूदा योजना या इससे पहले की योजना में केवल उन लोगों को घर देने का वादा शामिल नहीं है जिनके पास घर नहीं है बल्कि जो लोग कामचलाऊ घरों में रहते हैं, उन्हें भी पक्के घर मुहैया कराया जाना है.
भारत का 'इस्लामाबाद' जहां 3 चरणों में होगी वोटिंग
बंगाल में दो सीटों के लिए दांव पर लगा कांग्रेस-सीपीएम तालमेल
मौजूदा योजना में सरकार न्यूनतम आय वाले लोगों को प्रत्येक घर के लिए एक लाख तीस हज़ार रुपये का अनुदान देती है. इसका उद्देश्य इन परिवारों को शौचालय, बिजली और कुकिंग गैस कनेक्शन जैसी आधारभूत सुविधाओं से युक्त मकान देना है.
अब तक कितने मकान तैयार?
जुलाई, 2018 में नरेंद्र मोदी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में बनाए जाने वाले एक करोड़ आवास में 54 लाख आवास को स्वीकृत किया जा चुका है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, दिसंबर 2018 तक 65 लाख आवासों को स्वीकृत किया जा चुका है. यह ऐसी ही योजना में पिछली सरकार द्वारा 2004 से 2014 में स्वीकृत आवास की संख्या से ज़्यादा है.
लेकिन पिछले दिसंबर तक इनमें से केवल 12 लाख मकान पूरी तरह तैयार करके लोगों को सौंपे गए हैं.
भारत में रिहाइशी मकान
सरकार द्वारा वित्तपोषित योजनाएं
स्रोतः आवास एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय
ग़ौरतलब है कि सरकारी फ़ाइलों में एक आवास को स्वीकृति मिलने में एक साल का वक़्त लगता है और उसे तैयार करने और लोगों को देने में कुछ और साल का.
दिसंबर 2018 में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अनुमान लगाया है कि शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ आवास का लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार को 2022 तक 1500 अरब रुपया ख़र्च करना होगा.
हालांकि, रिपोर्ट ये भी बताती है कि सरकार ने अब तक अनुमानित लागत का केवल 22 फ़ीसदी पैसा ख़र्च किया है.
इमेज कॉपीरइटReuter
विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना को पूरा करने की राह में कई चुनौतियां हैं-
नई तकनीक के इस्तेमाल का अभाव
शहरी क्षेत्र में ज़मीन की कमी
महंगी ज़मीन
संपत्ति एवं भू-स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज़ों में समस्या
सेंटर फॉर अर्बन एंड रूरल एक्सीलेंस की निदेशक रेनू खोसला के मुताबिक़ ज़मीन एक अहम मुद्दा है.
मोदी दूसरों को आईना दिखाते हैं पर ख़ुद नहीं देखते
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लिए कितनी संभावना
रेनू खोसला बताती हैं, शहर के बीचों-बीच ज़मीन की कमी के चलते आपको दूर दराज़ के इलाक़े में घर बनाना होता है, जहां लोग परिवहन और काम धंधे की कमी के चलते जाना नहीं चाहते हैं.
ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर तस्वीर
ग्रामीण क्षेत्र में 2016 से 2019 के तीन सालों में एक करोड़ आवास बनाने का लक्ष्य था. बीते साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ग्रामीण इलाक़ों में एक करोड़ लोगों को आवास दिए जा चुके हैं.
लेकिन यह सही तस्वीर नहीं थी, कम से कम आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ यह सही नहीं है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस योजना की शुरुआत 2015 में हुई और तब से अब तक 71,82,758 आवास बनाए गए हैं, जो लक्ष्य से कम हैं.
गांवों में हर साल मकानों का निर्माण
दस लाख में
नई आवास योजना की 2016 में शुरुआत
स्रोतः ग्रामीण विकास मंत्रालय
लेकिन मौजूदा सरकार का प्रदर्शन 2009 से 2014 की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार की ग्रामीण आवासीय योजना से बेहतर है.
2014 की आधिकारिक ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक़ कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के पांच साल के दौरान आवास बनाने की सालाना दर 16.5 लाख आवास रही थी.
जबकि बीजेपी सरकार के दौरान 2016 से 2018 के दौरान सालाना 18.6 लाख आवास तैयार किए गए हैं.
रिएलिटी चेक से जुड़ी अन्य ख़बरें पढ़ने के लिए यहां क्लिककरें.
अस्वीकरण:
इस लेख में विचार केवल लेखक के व्यक्तिगत विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस मंच के लिए निवेश सलाह का गठन नहीं करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म लेख जानकारी की सटीकता, पूर्णता और समयबद्धता की गारंटी नहीं देता है, न ही यह लेख जानकारी के उपयोग या निर्भरता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है।