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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption जापान की बुलेट ट्रेनें 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से च
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption जापान की बुलेट ट्रेनें 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती हैं
दावा:सरकार का दावा कि है कि साल 2022 तक बुलेट ट्रेन सेवा शुरू हो जाएगी.
फ़ैसला: साल 2002 या 2023 तक बुलेट ट्रेन सेवा की शुरुआत मुश्किल है.
साल 2015 में अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन सेवा की शुरुआत की घोषणा की गई.
भारत ने इस बावत जापान से एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए. जापान इस परियोजना में निवेश कर रहा है. सितंबर 2017 में इस परियोजना पर आधिकारिक तौर पर काम शुरू हुआ.
परियोजना की शुरुआत एक समारोह में हुई जिसमें भारत और जापान के प्रधानमंत्रियों ने हिस्सा लिया.
उसी साल भारतीय रेल ने कहा, 15 अगस्त 2022 तक मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल के काम को पूरा करने के सभी प्रयास किए जाएंगे."
उधर अधिकारियों के मुताबिक उनका लक्ष्य है 2022 तक रास्ते के एक हिस्से को पूरा कर लेना ताकि बचे हुए काम को उसके अगले साल तक पूरा कर लिया जाए.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे एक “जादुई ट्रेन” बताया है जिसका काम कभी पूरा नहीं होगा.
ट्रेन की ज़रूरत क्यों
कई भारतीयों के लिए ट्रेन सफर करने का सस्ता और सुविधाजनक तरीका है.
हर दिन भारत की करीब 9,000 ट्रेन पर दो करोड़ से ज़्यादा लोग सफर करते हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption वंदे मातरम भारत की सबसे तेज़ रफ़्तार ट्रेन है
लेकिन सालों से रेल यात्री बेहतर सुविधाओं और पैसेंजर अनुभव की मांग करते रहे हैं.
वंदे भारत एक्सप्रेस वर्तमान में भारत की सबसे तेज़ चलने वाली ट्रेन है जिसकी स्पीड ट्रायल के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई थी.
उधर जापान की बुलेट ट्रेन की स्पीड 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है.
पूरी हो जाने के बाद 15 अरब डॉलर की ये परियोजना मुंबई को सूरत और अहमदाबाद से जोड़ेगी.
जानकारों के अनुसार जिस 500 किलोमीटर को पूरा करने के लिए अभी आठ घंटे लगते हैं, ये ट्रेन उस दूरी को तीन घंटे के अंदर पूरा कर लेगी.
और जब ये ट्रेन पूरी रफ़्तार से चलेगी तब ये दूरी सवा दो घंटे के भीतर पूरी हो जाएगी.
साल 2022 की डेडलाइन को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है.
प्रोजेक्ट से जुड़े लोग अब 2022 की बजाय साल 2023 में इसकी शुरुआत की बात कर रहे हैं.
लेकिन कुछ जानकारों के मुताबिक 2023 में भी अगर ये ट्रेन शुरू हो जाए तो गनीमत है.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ अरबन अफ़ेयर्स की डेबोलीना कुंडू ने बीबीसी को बताया, जिस धीमी रफ़्तार से प्रोजेक्ट का काम चल रहा है, मैं इसे लेकर आश्वस्त नहीं हूँ. इसके अलावा प्रोजेक्ट में नौकरशाही से जुड़ी अड़चनें भी हैं."
इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए ज़िम्मेदार नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएसआरसी) के प्रमुख अचल खरे ने बीबीसी से बातचीत में डेडलाइन को “मुश्किल” बताया लेकिन वो आशावान हैं.
एनएचएसआरसी के मुताबिक अगस्त 2022 तक सूरत और बिलिमोरिया के बीच तक का 48 किलोमीटर का रास्ता तैयार हो सकता है.
एनएचएसआरसी ने बीबीसी से बातचीत में दिसंबर 2023 को पूरे प्रोजेक्ट की डेडलाइन बताया.
चुनौतियां
प्रोजेक्ट को पूरा करने में सबसे पड़ी चुनौती है ज़मीन को हासिल करना.
ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए 1,400 एकड़ की ज़रूरत है. इसमें से ज़्यादातर ज़मीन निजी हाथों में है.
एनएचएसआरसी का लक्ष्य था कि 2018 के अंत तक ज़मीन अधिग्रहण को पूरा कर लिया जाए लेकिन अब इसे साल 2019 के मध्य तक खत्म करने की बात की जा रही है.
सभी ज़मीन को करीब 6,000 ज़मीन मालिकों से खरीदा जाना है लेकिन अभी तक 1,000 ज़मीन मालिकों के साथ ही समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption मुंबई भारत का बिजनेस और आर्थिक केंद्र है
रिपोर्टों के मुताबिक कुछ ज़मीन मालिक मुआवज़े की राशि से संतुष्ट नहीं हैं और वो ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं.
उधर अचल खरे कहते हैं कि कानून के मुताबिक ज़मीन मालिकों को जितना मुआवज़ा मिलना चाहिए, दी जा रही राशि उससे 25 प्रतिशत ज़्यादा है.
इसके बावजूद कुछ इलाकों में ज़मीन अधिग्रहण को लेकर प्रदर्शन हुए हैं और अदालतों में कई याचिकाएं दायर की गई हैं.
अदालतों में याचिकाओं का मतलब है कि मामला सालों खिंच सकता है.
जानकारों के मुताबिक ये ट्रेन जंगली और तटवर्ती इलाकों से भी गुज़रेगी इसलिए विभिन्न सरकारी क्लियरेंस मिलने मे भी समय लग सकता है.
अस्वीकरण:
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