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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesरफ़ाल सौदे में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा
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रफ़ाल सौदे में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने इसकी ख़रीद प्रक्रिया को देखने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट की उपेक्षा की है.
कांग्रेस की तरफ से पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी बीजेपी को प्रधानमंत्री के उस बयान का जवाब दे रहे थे जिसमें पीएम ने कहा था कि रफ़ाल सौदे में देरी के लिए कांग्रेस ज़िम्मेदार है.
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस पर राजनीति कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी देश में घूम कर ग़लत जानकारियां फैला रहे हैं.
पूर्व रक्षामंत्री ने कहा कि कैग की रिपोर्ट से साफ़ है कि जब यूपीए सरकार आयी तो हमने प्रक्रिया शुरू की.
उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के दौरान बीजेपी के नेताओं यशवंत सिन्हा और सुब्रमण्यम स्वामी ने आपत्ति जताई थी.
एंटनी ने कहा, इसके बाद एक समिति का गठन हुआ था. इस समिति की रिपोर्ट को नरेंद्र मोदी सरकार ने नजरअंदाज किया."
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesराम जन्मभूमि विवाद में मध्यस्थता पर कोर्ट का फ़ैसला
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच आपसी बातचीत से सुलझाने को लेकर बुधवार को फ़ैसला देगा. कोर्ट तय करेगा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति से विवाद सुलझाने में मध्यस्थता कौन करेगा.
विवाद से जुड़े प्रमुख पक्षकारों में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सहित लगभग सभी मुस्लिम पक्षकार और प्रमुख हिन्दू पक्षकारों में से निर्मोही अखाड़ा अदालत की मध्यस्थता में आपसी बातचीत से विवाद को हल करने के लिए राजी हो गए हैं.
अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 26 फरवरी को हिंदू-मुसलमान पक्षों के बीच मध्यस्थ के जरिये आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का प्रस्ताव दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि अगर बातचीत के जरिये विवाद सुलझने की एक फीसद भी उम्मीद है तो कोशिश होनी चाहिए. कोर्ट ने अपने प्रस्ताव पर पक्षकारों की राय पूछी थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष व निर्मोही अखाड़ा की ओर से सहमति जताई गई थी.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @yadavakhilesh
राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन के अवसर पर. pic.twitter.com/alMxGp2YFv
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) 5 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @yadavakhilesh
सपा-बसपा गठबंधन में शामिल हुआ रालोद, मिलीं तीन सीटें
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) भी शामिल हो गया है. मंगलवार को इसकी औपचारिक घोषणा कर दी गई. साथ ही यह भी घोषणा की गई कि रालोद उत्तर प्रदेश में मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेगा.
इसकी घोषणा के दौरान रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए सपा-बसपा और कांग्रेस सहित कई पार्टियां गठबंधन में शामिल हो रही हैं. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश और संविधान को बचाने के लिए ज़रूरी है कि सभी पार्टियां एक साथ आएं.
इमेज कॉपीरइटGetty Images13-पॉइंट रोस्टर पर अध्यादेश लाने की तैयारी में सरकार
13-पॉइंट रोस्टर पर मचे विवाद के बीच सरकार उच्च शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार अध्यादेश लाएगी.
इसके तहत एससी, एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालयों में फ़ैकल्टी में भर्ती के लिए आरक्षण डिपार्टमेंट के बजाए यूनिवर्सिटी के आधार पर दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2017 के फ़ैसले को बहाल रखा था, जिसमें आरक्षित पदों को भरने के लिए डिपार्टमेंट को यूनिट माना गया था न कि यूनीवर्सिटी को.
इस मामले में सरकार की रिव्यू पीटिशन को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
इस अध्यादेश के बाद यूनिवर्सिटी या कॉलेज को एक यूनिट के तौर पर लिया जाएगा, जबकि विभिन्न श्रेणियों में पदों की गिनती करने में डिपार्टमेंट को आधार नहीं माना जाएगा.
इमेज कॉपीरइटReutersImage caption रूसी मिसाइल की सांकेतिक तस्वीर तुर्की को नहीं मिलेगा अमरीकी एफ़-35
यूरोप में अमरीका के वरिष्ठ जनरल ने कहा है कि अमरीका नाटो सहयोगी तुर्की को अपना अत्याधुनिक लड़ाकू विमान लॉकहीड मार्टिन एफ35 नहीं बेचेगा. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इससे संबंधित बिल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
अमरीका का कहना है कि वह ये फैसला तब तक नहीं बदलेगा जब तक कि तुर्की रूस से आधुनिक एस-400 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल लेने की योजना छोड़ नहीं देता.
तुर्की अमरीका से इस साल के मार्च कर एफ़-35 लड़ाकू विमान खरीदने वाला था, लेकिन अब वो इस साल के नवंबर तक ऐसा नहीं कर पाएगा.
इस साल के अंत तक तुर्की को रूस से एस400 मिसाइल की डिलिवरी होने की संभावना है. यह डिलिवरी उस 50 लाख डॉलर के सौदे का हिस्सा है जो तुर्की और रूस के बीच दो साल पहले हुआ था.
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