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एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटwww.isro.gov.inभारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने गुरुवार देर रात दुनिया के सबसे हल्के उपग्रह -
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भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने गुरुवार देर रात दुनिया के सबसे हल्के उपग्रह - कलाम-सैट वीटू को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया है.
कलाम-सैट को छात्रों ने बनाया है. इसके साथ ही इमेजिंग उपग्रह माइक्रोसैट-आर को भी अंतरिक्ष में भेजा गया है.
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेन्टर से पीएसएलवी44 लांच व्हिकल के ज़रिए इन दोनों उपग्रहों को लॉन्च किया गया.
इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन ने लॉन्च के बाद देर रात इस मिशन के सफल होने की घोषणा की. उन्होंने कलाम-सैट बनाने वाले छात्रों को 'स्पेस-किड' कहा और उन्हें इसके लिए बधाई दी.
उन्होंने कहा "इसरो भारतीयों की संपत्ति है. भारत से सभी छात्रों को निवेदन है कि वो अपने विज्ञान के नए आविष्कारों को लेकर हमारे पास आएं. हम उनके उपग्रह लॉन्च करेंगे और हम चाहते हैं कि वो देश को विज्ञान की दिशा में आगे बढ़ाएं."
कलाम-सैट को चैन्नई स्थित स्पेस एजुकेशन फर्म स्पेस किड्ज़ इंडिया नाम की स्टार्ट-अप कंपनी ने बनाया है.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @isro
? #ISROMissions ?#PSLVC44 successfully places #MicrosatR into its intended orbit. #Kalamsat pic.twitter.com/hVIsKzplpC
— ISRO (@isro) 24 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @isro
डॉ. के सिवन ने कहा, "इस मिशन में कई नई तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. पहली बार इसमें पीएसएलवी-सी44 की पेलोड क्षमता को बढ़ाया गया है."
"भारत के गणतंत्र दिवस के ठीक दो दिन पहले इसका लॉन्च एक बड़ी सफलता है और देश के लिए एक तोहफा है."
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवन
प्रोजेक्ट के निदेशक आर हटन ने कहा, "ये पीएसएलवी सी44 का एक और सफल मिशन है. ये इस लॉन्च व्हिकल का 46वां लॉन्च है और अब तक इसे 44 बार सफलता मिली है जो अपने आप में बड़ी कामयाबी है."
उन्होंने कहा, "हमने पीएसएलवी व्हिकल परिवार में कई और नए व्हिकल शामिल किए हैं जिनमें पीएसएलवी-डीएल शामिल है."
उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि माइक्रोसैट-आर का सोलर पैनल अब खुल गया है और काम करने के लिए तैयार है.
आर हटन ने कहा, "परियोजना के निदेशक के रूप में ये मेरा आख़िरी काम है. मैं कह सकता हूं कि यहीं पर मेरा जन्म हुआ है और मैं यहीं पला बढ़ा हूं."
"इसरो के चेयरमैन ने मुझ पर अब एक साधारण से काम की ज़िम्मेदारी सौंपी है- अंतरिक्ष में इंसान को भेजने की. मुझे उम्मीद है कि नियत समय के भीतर हम इस काम में भी सफल होंगे."
इमेज कॉपीरइटwww.isro.gov.inImage caption प्रोजेक्ट के निदेशक आर हटन
आगामी मिशन- गगनयान
डॉ. के सिवन ने इस मौके पर इसरो के आगामी कई मिशनों के बारे में भी एलान किया. उन्होंने कहा कि इसके बाद 6 फरवरी, 2019 को जीसैट31 का ल़ॉन्च होगा जो इन्सैट 4सीआर उपग्रह की जगह लेगा.
उन्होंने कहा, "इसके बाद डीएसएलवी और पीएसएलवी के ज़रिए पूरा किया जाने के लिए जीसैट मिशन होगा."
"हमने एक नया एसएसएलवी- स्मॉल सैटलाइट लॉन्च व्हिकल यानी छोटा उपग्रह लॉन्च व्हिकल बनाया है जो इसी साल अपनी पहली उड़ान भरेगा."
"इसके साथ चंद्रयान 2 भी इस साल अप्रैल के आसपास लॉन्च किया जाएगा."
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @DDNewsLive
#ISRO launches student satellite #Kalamsat and imaging satellite #MicrosatR onboard #PSLVC44 from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota; launch marks first mission for ISRO in 2019 pic.twitter.com/5W6i864yx0
— Doordarshan News (@DDNewsLive) 24 जनवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @DDNewsLive
डॉ. के सिवन ने कहा, "लेकिन हमारा मुख्य काम अब गगनयान पर है जिस पर हम अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. ये इसरो के लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है. इसकी ज़िम्मेदारी आर हटन को दी गई है जिन्होंने मुझसे वादा किया है कि दिसंबर 2020 तक इसकी पहली उड़ान होगी जिसके बाद 2021 में इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा."
"भारतीय सरज़मीन से, भारतीय लॉन्च व्हिकल के ज़रिए, एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजना और वहां उसे कुछ वक्त के लिए रखना हमारा सबसे बड़ा काम है. ये मिशन 2021 में पूरा किया जाएगा."
कलाम-सैट की ख़ासियत
विज्ञान मामलों के जानकार पल्लव बागला कहते हैं, "इस सैटेलाइट को हैम रेडियो ट्रांसमिशन (शौकिया रेडियो ट्रांसमिशन) के कम्युनिकेशन सैटेलाइट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा.
"हैम रेडियो ट्रांसमिशन से आशय वायरलैस कम्युनिकेशन के उस रूप से है जिसका इस्तेमाल गैर-पेशेवर गतिविधियों में किया जाता है."
हालांकि, बीते साल एक अन्य भारतीय छात्र ने ही इससे भी हल्के उपग्रह को बनाया था जिसका वज़न मात्र 64 ग्राम था.
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