एब्स्ट्रैक्ट:सामग्री को स्किप करें चैंपियंस ट्रॉफी: बात सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान मैच की नहीं है, यहां लड़ाई कुछ ब
भारत ने पाकिस्तान आकर चैंपियंस ट्रॉफी खेलने से इनकार किया तो पाकिस्तान की ओर से कहा जा रहा है कि इस बार वह झुकने के मूड में नहीं है.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड यानी पीसीबी ने साफ़ तौर पर कहा है कि टीम इंडिया का चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के लिए पाकिस्तान नहीं आने का फ़ैसला अस्वीकार्य है.
पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन रजा नकवी ने कहा, \“ऐसा नहीं हो सकता है कि हम भारत में खेलने जाएं, लेकिन टीम इंडिया पाकिस्तान न आए.\”
भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हमेशा से क्रिकेट बोर्डों के लिए फ़ायदे का सौदा होता है. दोनों देशों के मैचों में बहुत कुछ दांव पर लगा रहता है.
अब सवाल उठ रहा है कि क्या भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच क्या कभी क्रिकेट मैच हो पाएगा?
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साल 2017 में क्या हुआ था?
साल 2011 के वनडे वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान को भारत के ख़िलाफ़ हार का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार 10 आईसीसी टूर्नामेंट्स में कम से कम एक मैच तो ज़रूर हुआ, जिसे केवल संयोग नहीं माना जा सकता.
साल 2017 की चैंपियंस ट्रॉफ़ी में पाकिस्तान को ग्रुप स्टेज पर हुए मुक़ाबले में भारत से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस टूर्नामेंट के फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को हराकर ट्रॉफी अपने नाम कर ली थी.
इस टूर्नामेंट से पहले तो पाकिस्तान के इस टूर्नामेंट में शामिल होने पर भी सवालिया निशान थे, क्योंकि उस समय पाकिस्तान आईसीसी रैंकिंग में पहली आठ टीमों में शामिल नहीं था.
उस समय के आईसीसी चेयरमैन डेव रिचर्डसन ने टूर्नामेंट से पहले ब्रिटिश अख़बार टेलीग्राफ़ से बात करते हुए यह स्वीकार किया था कि आईसीसी इस बात को सुनिश्चित करता है कि पाकिस्तान और भारत को एक ही ग्रुप में रखा जाए. उन्होंने कहा था कि यह (मैच) आईसीसी के दृष्टिकोण से अहम है.
उन्होंने कहा था, “यह (मुक़ाबला) दुनिया भर में देखा जाता है और प्रशंसक अभी से इसका इंतज़ार भी करने लगे हैं. यह टूर्नामेंट के लिए भी बेहतरीन है क्योंकि यह इसकी लोकप्रियता बढ़ाने में अहम है.”
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क्या कहते हैं आंकड़े?
आईसीसी की ओर से जारी आंकड़ों पर नज़र डालें तो पाकिस्तान और भारत के बीच खेले गए कई मैच इतिहास में सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले मैचों में से एक रहे हैं.
यह आँकड़े आमतौर पर भारत के बाज़ार से लिए जाते हैं और पाकिस्तान समेत दूसरे देशों में भी इस मैच की व्यूअरशिप बहुत अधिक रहती है.
इसका कॉमर्शियल टाइम विज्ञापन की दुनिया में क़ीमती समझा जाता है.
लेकिन, यहां सवाल यह पैदा होता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मैच का होना क्या आईसीसी के लिए वाक़ई इतना अहम है, जितने पाकिस्तान में कुछ विश्लेषकों की ओर से बताए जा रहे हैं?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने पाकिस्तान और भारत के क्रिकेट प्रसारक, एडवरटाइज़र्स और इससे जुड़े मामलों पर रिपोर्ट करने वाले लोगों से बात की.
लेकिन, इन सबसे पहले इतिहास के उस मोड़ पर जाते हैं, जब क्रिकेट का संचालन करने वालों को आईसीसी टूर्नामेंट्स की कामयाबी के लिए भारत के महत्व का सही अर्थों में एहसास हुआ था.
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2007 का वर्ल्ड कप और भारत की पहले ही राउंड में घर वापसी
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मार्च 2007 के वनडे वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम को श्रीलंका और बांग्लादेश से पहले ही राउंड में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद टीम इंडिया को घर लौटना पड़ा था.
तब इन हालात पर दिल्ली के एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव राजमोहन सिंह ने कहा था, ‘हम डूब चुके हैं.’
दरअसल, भारत का पहले ही राउंड में वर्ल्ड कप से निकल जाना न केवल भारतीय प्रशंसकों और विज्ञापनदाताओं के लिए बल्कि ख़ुद आईसीसी और उसके उस समय के प्रसारक ‘सोनी’ के लिए भी एक बहुत बड़ा धक्का था.
यह इतना बड़ा धक्का था कि सोनी इसके बाद आईसीसी के प्रसारण अधिकार लेने की दौड़ से ही बाहर हो गया था.
भारत के मैचों के लिए प्रसारक सोनी ने भारत में विज्ञापन के लिए 10 सेकंड का स्लॉट डेढ़ लाख भारतीय रुपए जबकि 16 अप्रैल को संभावित भारत-पाकिस्तान मैच के लिए 10 सेकंड का स्लॉट साढ़े चार लाख भारतीय रुपए में बेच रखा था.
कोला ब्रैंड पेप्सी ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 350 करोड़ की ‘ब्लू बिलियन’ नाम का विज्ञापन अभियान तैयार किया था. हालांकि, भारत की हार के कारण पेप्सी को उसे रोक कर दूसरा विज्ञापन बनाना पड़ा था.
पाकिस्तान में भी वही हाल
उधर, पाकिस्तानी टीम आयरलैंड और वेस्ट इंडीज़ से हार कर वर्ल्ड कप से बाहर हो चुकी थी.
उस वक़्त के पाकिस्तान एडवरटाइज़िंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मसूद हाशमी ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया था कि देश में एडवरटाइज़िंग को दो से तीन अरब पाकिस्तानी रुपए का नुक़सान हुआ है.
यह क्रिकेट की दुनिया में एक ऐसा पल था, जब आईसीसी टूर्नामेंट की आर्थिक सफलता में भारत के महत्व का सही अर्थों में अंदाज़ा लगा पाया था.
पाकिस्तान में कुछ विश्लेषकों का मानना है कि शायद इसके बाद से आईसीसी ने पाकिस्तान और भारत को एक ही ग्रुप में रखने की परंपरा की शुरुआत की थी.
लेकिन, यह बात सही नहीं है क्योंकि पाकिस्तान और भारत के बीच साल 2009 और साल 2010 के टी20 वर्ल्ड कप में कोई मैच ही नहीं हुआ था.
साल 2011 के वनडे वर्ल्ड कप में भी दोनों टीमें (भारत और पाकिस्तान) केवल इसलिए आमने-सामने आई थीं क्योंकि दोनों टीमों ने सेमीफ़ाइनल के लिए क्वॉलिफ़ाई किया था.
साल 2011 में मोहाली में होने वाले उस मैच के बारे में जितनी दिलचस्पी देखी गई थी, विशेषज्ञ समझते हैं कि उसके बाद से ब्रॉडकास्टर्स की ओर से पाकिस्तान और भारत के बीच मैचों का टूर्नामेंट का ज़रूरी हिस्सा बनाने का अनुरोध किया गया था.
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भारत-पाकिस्तान में मैच होना ज़रूरी क्यों?
हर मार्केट में प्रसारक अलग तरीक़ों से कमाते हैं. जैसे भारत में सब्सक्रिप्शन और विज्ञापन वे दो तरीक़े हैं, जिनके ज़रिए प्रसारक पैसे बनाते हैं.
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बाज़ार में सब्सक्रिप्शन का महत्व अधिक है जबकि पाकिस्तान में विज्ञापन और कॉमर्शियल एयरटाइम का महत्व बढ़ जाता है.
इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने बीबीसी को नाम न बताने की शर्त पर बताया कि भारत में प्रसारक के लिए 60 से 65 फ़ीसद रक़म विज्ञापन से आ रही है और लगभग 30 से 35 फ़ीसदी हिस्सा सब्सक्रिप्शन की रक़म का होता है.
दूसरी तरफ़, पाकिस्तान में विज्ञापन से मिलने वाली रक़म ही सब कुछ होती है, इसलिए यहां आपको मैच के दौरान विज्ञापनों को किसी न किसी तरह फ़िट करने की जद्दोजहद दिखाई देती है.
बीबीसी ने पाकिस्तान और भारत में विज्ञापन के लिए दिए गए स्लॉट की क़ीमत जानने के लिए दोनों देशों में मीडिया बाइंग कंपनियों से संपर्क किया है.
किसी भी वनडे मैच में कॉमर्शियल एयरटाइम 100 मिनट के लगभग होता है जबकि टी20 मैच में यह अवधि 50 मिनट तक की होती है.
बेंगलुरु की एक ट्रांज़ैक्शन एडवाइज़री कंपनी ‘डी ऐंड पी एडवाइज़री ब्रैंड्स’ को एयर टाइम के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है.
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर संतोष एन ने बीबीसी को बताया कि पिछले एक दशक में भारत-पाकिस्तान के बीच अक्सर वनडे मैच एकतरफ़ा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी भारत में कॉमर्शियल एयरटाइम के हिसाब से लागत दूसरे मैचों की तुलना में बहुत अधिक रही है.
संतोष कहते हैं, “इसकी वजह दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है. दोनों ही देशों की आबादी बड़ी है और जो लोग आमतौर पर क्रिकेट नहीं भी देखते, वह भारत-पाकिस्तान मैच ज़रूर देखते हैं.”
“दोनों तरफ़ के ब्रैंड्स यही चाहते हैं कि उनके विज्ञापन अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसलिए भारत- पाकिस्तान मैच के कॉमर्शियल टाइम की डिमांड में बढ़ोतरी हो जाती है.”
उनके अनुसार, “न्यूयॉर्क में खेले गए भारत-पाकिस्तान मैच में 10 सेकंड के स्लॉट की क़ीमत 50 लाख रुपये तक चली गई थी. 2023 के वनडे वर्ल्ड कप में एक 10 सेकंड के स्लॉट की क़ीमत 60 लाख रुपये तक पहुंच गई थी.”
यानी एक मिनट का कॉमर्शियल एयरटाइम लगभग तीन करोड़ 60 लाख रुपये का था.
यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि प्रसारक की ओर से आम मैचों के लगभग 80 फ़ीसदी स्लॉट प्रतियोगिता से पहले ही बेच दिए जाते हैं.
बाद में 20 फ़ीसदी की क़ीमत मैच के महत्व के हिसाब से बढ़ाई या कम की जाती है.
लेकिन, उनका कहना था कि आईपीएल में स्लॉट पर ध्यान दिया जाए, तो आमतौर पर मुंबई और चेन्नई के बीच मैच के 10 सेकंड के स्लॉट की क़ीमत 30 से 40 लाख रुपये के बीच चली जाती है.
पाकिस्तान में हमने जब मीडिया बाइंग कंपनी मार्शमैलो एडवरटाइज़िंग से संपर्क किया, तो इससे जुड़े युसूफ़ रशीद ने बीबीसी को बताया कि पाकिस्तान में भारत-पाकिस्तान मैच के लिए एक मिनट के स्लॉट की क़ीमत हाल के टी20 वर्ल्ड कप के मैच के लिए 40 लाख रुपये तक थी जबकि 2019 के वर्ल्ड कप मैच में यह क़ीमत 60 लाख रुपये तक चली गई थी.
यहां यह बताना भी अहम है कि आईसीसी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में होने वाले वन डे वर्ल्ड कप 2023 में सबसे अधिक देखे जाने वाले मैचों के पीक व्यूअरशिप में पाकिस्तान-भारत मैच पांचवें नंबर पर था जबकि भारत-ऑस्ट्रेलिया फ़ाइनल, भारत- दक्षिण अफ़्रीका मैच और भारत-न्यूज़ीलैंड के ग्रुप मैच और सेमीफ़ाइनल की व्यूअरशिप बेहतर थी.
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क्या भारत-पाकिस्तान मैच भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है?
इस सदी में दुनिया के दूसरे खेलों की तरह क्रिकेट में भी प्रसारण अधिकार से मिलने वाले पैसों के महत्व में हर साल इज़ाफ़ा हो रहा है.
क्रिकेट की अर्थव्यवस्था पर गहरी नज़र रखने वाले प्रॉफ़िट मैगज़ीन से जुड़े पत्रकार अब्दुल्लाह नियाज़ी के अनुसार साल 2023 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) को आईसीसी की ओर से 1.7 करोड़ डॉलर की रक़म दी गई थी.
यह रक़म आईसीसी प्रसारण समझौते और आईसीसी टूर्नामेंट्स से कमाती है और उसे सभी (क्रिकेट खेलने वाले) देशों में एक मॉडल के तहत बांटा जाता है.
यह बात साफ़ है कि आईसीसी टूर्नामेंट्स को प्रसारण के लिए फ़ायदेमंद बनाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मैच रखना ज़रूरी होता है.
प्रसारण समझौते और क्रिकेट प्रशासन से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बीबीसी को नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इससे भारत को सीधे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि भारत और पाकिस्तान आपस में खेलते हैं या नहीं.
भारत यानी बीसीसीआई आईपीएल की वजह से सबसे अमीर बोर्ड है. बीसीसीआई की अभी भारत के मैचों के लिए प्रसारण समझौते 72 करोड़ डॉलर की हुई है, जिसमें 88 मैच शामिल हैं.
यानी हर मैच 8.1 मिलियन डॉलर का है. इस समझौते में पाकिस्तान और भारत के बीच सिरीज़ शामिल नहीं है.
इसके उलट पाकिस्तान की अगले ढाई साल के लिए की गई अपने साठ मैचों की ब्रॉडकास्ट डील की कुल लागत लगभग साढ़े छह मिलियन डॉलर है, जो अंतरराष्ट्रीय अधिकारों की रक़म मिलाकर नौ मिलियन डॉलर के बराबर बनती है.
यानी पाकिस्तान के साथ मैचों की 9 मिलियन डॉलर की लागत और भारत का एक मैच 8.1 मिलियन डॉलर का.
ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू के विशेषज्ञ ने बीबीसी को बताया कि आज ब्रॉडकास्टिंग वैल्यू के लिहाज़ से आईपीएल के एक मैच की लागत 13.1 मिलियन डॉलर है.
इसकी तुलना में पाकिस्तान सुपर लीग अपने पूरे सीज़न के 34 मैचों से इससे कम कमाती है.
“आईपीएल का मुक़ाबला अब एनएफ़एल, एनबीए आदि से है, क्रिकेट में किसी से है ही नहीं.”
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